Tuesday 26 February 2013

----- ॥ भ्रष्टाचार छोड़ो - संसाधन जोड़ो ॥ -----


मूल्य वृद्धि वास्तव में मुद्रा का अवमूल्यन है..,

वस्तु का वास्तविक मूल्य उसकी आवश्यकता
एवं उपलब्धता पर आधारित होता है..,

निजी उपक्रमों द्वारा अर्जित व्यवसायिक लाभ से वह स्वयं लाभान्वित होते हैं,
लोक उपक्रमों द्वारा अर्जित व्यवसायिक लाभ से सामान्य जन लाभान्वित होता है..,


यदि ग्राहक अधिक हो तो सेवा विस्तारित कर अधिकाधिक लाभ
अर्जित किया जा सकता है..,

हमारे देश में एक दूरभाष का लोक उपक्रम है जहां ग्राहक अधिक थे सेवा न्यून थीं तत्पश्चात
निजी व्यवसायिक संस्थाओं ने उक्त व्यवसाय में प्रवेश किया एवं सेवा विस्तारित कर
अप्रत्याशित लाभ अर्जित किया..,

कथा का सार है कि "सेवा बढ़ाओ लाभ कमाओ"




Thursday 21 February 2013

-----॥ शुचि करमन मानस जग माने ॥ -----

" शुद्ध बुद्धि, मृदु भाषा, सदाचरण, निष्कलंक चरित्र ही मनुष्य
  के वास्तविक वस्त्र हैं..,"

" विद्यमान समय में भी भारत निर्वस्त्र भिक्षुओं का देश है
  पूर्व एवं वर्त्तमान  में केवल  यही  अंतर है कि पूर्व समय
  के  भिक्षुओं  का स्थान  वर्त्तमान  में  नेता-मंत्रियों  ने ले
  लिया है और सदाचरण का त्याग कर दिया है....."

 शुचि करमन मानस जग माने । दुराचारि के अंग उहाने ॥ 
 उहाने = उघाड़े 

Monday 11 February 2013

----- ।। मानवतावाद ।। -----

"ईश्वर क्या है?? एश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान एवं वैराग्यरूप
यह छ: गुणों का संयुग्मन ही ईश्वर है..,"

"मनुष्य कौन हैं ?? जिनके चित में  संयम, धीरज, धर्म, ज्ञान,
 विज्ञान, सदाचार,  जप,  योग (ध्यान), राग, वैराग्य  (त्याग)
 आदि विषयों का विवेक हो मनुष्य हैं..,


"प्रत्येक मनुष्य में जहाँ समान इन्द्रियाँ  एवं अंग उपकरण                  
 होते हैं वहीं एश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान  एवं  वैराग्यरूप ये
 छ: ईश्वरीय गुण भी समाहित होते हैं..,"

" व्यक्ति  सर्वप्रथम  एक  मानव  है मानवीय सदाचरण एवं
  पाशविक  प्रवृत्ति किसी भी  धर्म, जाति, वर्ण  आदि  के
  व्यक्ति में हो सकती है..,"

" पाश्विक प्रवृत्ति की तुलना पशु से ही की जाती है,
  मानवीय मूल्यों की तुलना महात्माओं से की जाती है..,"