Wednesday 1 January 2014

----- ॥ दोहा-पद॥ -----

आयो दुआरि नौ बरस, पुरान लेइ बिदाए । 
करत सुवागत बाट-बन, पाँवर पलक बिछाए । १ । 

तरुनई अरुन किरन सों, चारुहु चरन रचाइ  । 
कूल कूलिनी निरत रत, रमझौरे खनकाइ  ।२ । 

ढोल मजीर सन झाँझरि, नद्पत संख बजाए । 
सुर गाँऊँ सिंगार कर, रागिनि मंगल गाए ।३। 

चित्ररथी चितकारी किए, पथ पथ चौंक पुराए ।
मंडप मंडित मंच पर, मंजरिया डुलियाए ॥ 

पुहुप सेखर करज धरे,दुलनिया सी लजाइ  । 
सौंधी सौंधी पुरबाइ, अगुवानी सरनाइ  ।५। 

पाँवर = देहली 
चारू = कुमकुम 
रामझौरे = घुंघरू,नुपूर 
निरत = नृत्य 
चित्ररथि = सूर्यदेव 
मंजरी : छोटे छोटे पुष्प गुच्छ 
पुहुप शेखर = पुष्प माला 
अगुवानी सरनाए = स्वागत हेतु आगे आना 


   -----॥ प्रनय पाती ॥ -----
प्रथम किरन गहे नौसर, नौ नौ भूषन भेस । 
लेखे नवल बत्सल को, नभ आवनु संदेस ।१। 

भाव भरे पंगत निलय, अंतर किये प्रबेस । 
प्रनुत प्रनय निवेदन किए, लाज लहत लवलेस ।२।  

कथन गहन अलंकृत हो, अभरित नौ गनबेस । 
कहत प्रिया पथ जोग रहि ,पिय तव प्रतिसंदेस ।३।   

अंतर आखर सुघर लिख, स्वागतम सुभ सेस ।
पल मह पाटल पुहुप की, रख पाँखुरियाँ पेस ।४ ।  

दु बरन लिख कहि आपकी , नाम लिखा निज केस । 
पातिहि ऊपर जोग लिखे, नव अम्बर के देस ।५। 

नौसर = ओस की बिंदुओं का लड़ियों का हार 
वत्सल = वर्ष 
निलय =ह्रदय 
प्रनत = अंतर आख्यान में 
गणवेश = समूह भूषा  
प्रतिसंदेस = प्रतिउत्तर में 
पातळ = गुलाब 
पेस =कोमल 
केस = किरण