----- ॥ शम्मे-रुखसार ॥ -----
सुलग उठी शम्मे-शाम,दमक दार रुखसार ।
लर्जिशे सितम जरीफ़ी ,शबनम गुले -किनार ॥
ऐ शम्म महबूब तिरा, इश्क बहोत मासूम ।
वस्ले-यार से महरुम, मदफ़ूनो-मखदूम ॥
दूर फलक की तश्तरी, नजर आए महताब ।
झुकी हुई नज़रे-नूर, उठता हुवा शबाब ॥
रु-ओ -जमाल बे-हिजाब, लब पुर सुर्ख शहाब ।
हुस्ने-परस्त हर अख्तर , कहे अजी आदाब ॥
मुस्करा के पलक झुका, वो ऐसे शर्माए ।
बेकरार दिल का हाल, हाय कहा ना जाए ॥
ख्वाबे-शीश महल हम, करे सपाटे सैर ।
सरे-बामो-दर कुछ यूँ, गुजरी शब् बा-ख़ैर ॥
दफ्न दिलबर की कब्र के ज़र्रे भर आगोश ।
सहर गहे सहरा नशीं, शमा हुई खामोश ॥
रौनके-फ़रोजा सुब्हे, दम सुभान अल्लाह ।
महरे सुबुके-सोख्ता, नजर आए लिल्लाह ॥
मेहमाँ किये चमन चमन, वक्त ने ब-दस्तूर ।
हजूर जश्ने-शादिया, आइयेगा ज़रूर ॥
रफ़्ता-रफ़्ता शुरू हुए, रवा-ए रस्मों रवाज ।
शहनाइयाँ गूँज रही, सजे शादिये साज ॥
इक वल्लाह वली अहद, इक चश्मे-बद्दूर ॥
एक फलक की हुस्न परी, एक बिहिस्त का नूर॥
सुर्ख लिबास में उतरी शोख़ शफ़क यूँ फूल ।
वो हद्दे-पाक मजस्सम पढ़े निकाह रसूल ॥
दुल्हे मियाँ आफताब, हके-महर मक़बूल ।
सर करदा-ओ-सरो-पा कह रहे है कबूल ॥
मौजें मचल मचल उठी,मची समंदर धूम ।
नाच रहे हैं नाखुदा, किश्तियाँ रही झूम ॥
रु-ए-शम्मे रुखसार, चश्मे-नूर बख्तियार ।
लगे हैं शानदार, बाँधे दुल्हा (नौशाह)सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
नौशा तुर्के चीन, हाय सूरते मिसकीन ।
य़क सर लाखों हसीन , फिर खूब सजा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
जुल्फ़ स्याही ताब, रगे-अब्र बर्क बेताब ॥
पेशाने दो आब, शोख सिराजा चेहरा, उसपे सोणा सेहरा ॥
बहर लहरिया दार, बुक बखिया बूटीकार ।
तारी ज़री निगार,यूं बुन के बना सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
जरबीला तंजेब, ज़र द़ोज ज़मीं जूँ सेब।
केसरिया तन ज़ेब, लख्ते नूराँ सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
खिले गुल बेशुमार, ज़र द़ोज फस्ले-बहार ।
बाग़े-मुश्के-बार, महका महका सेहरा,सोणा सोणा सेहरा ॥
गुलाबे-नूर नफीस , नरगिस की जुदा बँदीस ।
बदने-बंदनवीस , मीन मुस्तफ़ा सेहरा ,सोणा सोणा सेहरा ॥
पेंच पेंच परदाज, के जैसे धनक फ़राज ।
नाज़ो नर्म नियाज, सर फेंट फिरा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
तुर्रा फ़र्द फ़राज, फ़र फूँद फ़लक परवाज ।
लिए दिगर अंदाज,नज़र में चढ़ा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
सिल्क गुहर गहबार ,जमुर्रद की क़ज कतार ।
लग रेशमी किनार, ज़ेवर से जड़ा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
गुल रौनके आतीस, जिवाहर जोर कसीस ।
मौजे-मिकनातीस, सर खूब जचा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
नौशाह खड़े दरबार, ले जाने को तैयार ।
दुल्हन मेरे सरकार, हँस के बोला सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
सुलग उठी शम्मे-शाम,दमक दार रुखसार ।
लर्जिशे सितम जरीफ़ी ,शबनम गुले -किनार ॥
ऐ शम्म महबूब तिरा, इश्क बहोत मासूम ।
वस्ले-यार से महरुम, मदफ़ूनो-मखदूम ॥
दूर फलक की तश्तरी, नजर आए महताब ।
झुकी हुई नज़रे-नूर, उठता हुवा शबाब ॥
रु-ओ -जमाल बे-हिजाब, लब पुर सुर्ख शहाब ।
हुस्ने-परस्त हर अख्तर , कहे अजी आदाब ॥
मुस्करा के पलक झुका, वो ऐसे शर्माए ।
बेकरार दिल का हाल, हाय कहा ना जाए ॥
ख्वाबे-शीश महल हम, करे सपाटे सैर ।
सरे-बामो-दर कुछ यूँ, गुजरी शब् बा-ख़ैर ॥
दफ्न दिलबर की कब्र के ज़र्रे भर आगोश ।
सहर गहे सहरा नशीं, शमा हुई खामोश ॥
रौनके-फ़रोजा सुब्हे, दम सुभान अल्लाह ।
महरे सुबुके-सोख्ता, नजर आए लिल्लाह ॥
मेहमाँ किये चमन चमन, वक्त ने ब-दस्तूर ।
हजूर जश्ने-शादिया, आइयेगा ज़रूर ॥
रफ़्ता-रफ़्ता शुरू हुए, रवा-ए रस्मों रवाज ।
शहनाइयाँ गूँज रही, सजे शादिये साज ॥
इक वल्लाह वली अहद, इक चश्मे-बद्दूर ॥
एक फलक की हुस्न परी, एक बिहिस्त का नूर॥
सुर्ख लिबास में उतरी शोख़ शफ़क यूँ फूल ।
वो हद्दे-पाक मजस्सम पढ़े निकाह रसूल ॥
दुल्हे मियाँ आफताब, हके-महर मक़बूल ।
सर करदा-ओ-सरो-पा कह रहे है कबूल ॥
मौजें मचल मचल उठी,मची समंदर धूम ।
नाच रहे हैं नाखुदा, किश्तियाँ रही झूम ॥
रु-ए-शम्मे रुखसार, चश्मे-नूर बख्तियार ।
लगे हैं शानदार, बाँधे दुल्हा (नौशाह)सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
नौशा तुर्के चीन, हाय सूरते मिसकीन ।
य़क सर लाखों हसीन , फिर खूब सजा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
जुल्फ़ स्याही ताब, रगे-अब्र बर्क बेताब ॥
पेशाने दो आब, शोख सिराजा चेहरा, उसपे सोणा सेहरा ॥
बहर लहरिया दार, बुक बखिया बूटीकार ।
तारी ज़री निगार,यूं बुन के बना सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
जरबीला तंजेब, ज़र द़ोज ज़मीं जूँ सेब।
केसरिया तन ज़ेब, लख्ते नूराँ सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
खिले गुल बेशुमार, ज़र द़ोज फस्ले-बहार ।
बाग़े-मुश्के-बार, महका महका सेहरा,सोणा सोणा सेहरा ॥
गुलाबे-नूर नफीस , नरगिस की जुदा बँदीस ।
बदने-बंदनवीस , मीन मुस्तफ़ा सेहरा ,सोणा सोणा सेहरा ॥
पेंच पेंच परदाज, के जैसे धनक फ़राज ।
नाज़ो नर्म नियाज, सर फेंट फिरा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
तुर्रा फ़र्द फ़राज, फ़र फूँद फ़लक परवाज ।
लिए दिगर अंदाज,नज़र में चढ़ा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
सिल्क गुहर गहबार ,जमुर्रद की क़ज कतार ।
लग रेशमी किनार, ज़ेवर से जड़ा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
गुल रौनके आतीस, जिवाहर जोर कसीस ।
मौजे-मिकनातीस, सर खूब जचा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
नौशाह खड़े दरबार, ले जाने को तैयार ।
दुल्हन मेरे सरकार, हँस के बोला सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥
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