>> रक्त-सम्बंधित बहुंत से अनुसंधान होने बाकी हैं केवल वर्ग मिलान से संतुष्ट नहीं होना चाहिए.....रोगी को निकट संबंधियों का ही रक्त देना चाहिए तत्पश्चात अन्य का.....
>> पश्चिमी देशों में बहुतेरों की माँ नहीं होती.....क्यों ?
>> ये नेता न होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.....
>> अविष्कारों का सर्वाधिक दुरुपयोग शासक वर्ग द्वारा होता है, ऐसा दुरुपयोग दंडनीय अपराध हो.....
>> यदि हमारे भारत की नीति चाय-चिप्स के स्थान पर दूध-दही वाली होती तो यह आर्थिक रूप से पिछड़ा न होता.....
राजू : -- फिर तो पी एम भी चाय की दुकान न होकर बड़ा सा मिष्ठान्न भंडार होता....
>> राजू : -- वो भी वहां जहाँ पी एम का चूल्हा गौ माता के दूध से जलता था.....
>> अधिकांश साध्य/असाध्य रोगों के जनक विदेश ही क्यों हैं..... ?
दया, दान, त्याग, सत्य जैसे अंतर्भावों के अभाव का गुणसूत्रों अथवा जींस पर प्रभाव शोध का विषय है.....
>> जो बीत गए वो जमाने नहीं आते..,
आते हैं नए लोग पुराने नहीं आते
लकड़ी के मकानों में चरागों को न रखना
अब पड़ोसी भी आग बुझाने नहीं आते
------ ॥ अज्ञात ॥ -----
>> विद्यमान सत्ताधारियों को मंदिर बनाने के लिए ललकारो तो ये ढोंगी साधु-संतो के पटकों के पीछे दुबक जाते हैं.....
>> मांसाहार पर प्रतिबन्ध का अर्थ है हिंसा पर प्रतिबन्ध : -- यदि तालिबान में ऐसा कोई प्रबंध है तो सभी देशों को तालिबान जैसा बनना चाहिए.....
>> अब तो सत्ताधारियों का भारत भी टी. बी. में बसने लगा है.....
>> वर्तमान में भारत की आर्थिक विषमताओं का प्रमुख कारण यहाँ के धनपतियों की दरिद्रता है.....
>> जोरी कीयाँ जुलुम है मँगे जवाब खुदाए ।
खालिक दर खूनी खड़ा मार मुँही मुख खाए ॥
----- ॥ संत कबीर दास ॥ -----
>> कच्छे में रहने वालों के बनाए नेता दस लखटकिया सूट में रहते हैं ? और ये कुछ कहते भी नहीं.....आश्चर्य है.....
>> खाता वाली योजना के बारे एक ' हमाल ' तक का कहना था = पइसा सकलत हें : = अर्थात तरलता अवशोषित कर रहे हैं महंगाई तो बढ़ेगी ही.....
>> राजू : -- हमरे नगर में भी एक ठो झोझरू पारा है वहां भी आज तक कोई पी एम नहीं आया.....
" उ बाजू के नगर में तो दो ठो हैं....."
>> राजू : -- ऐतना ऊँचा चढ़ के बाँग देने की क्या आवश्यकता थी, नीचे से सुनाई दे जाता.....
>> हमरे नगर में भी मना था ई गुंडे लोगन का त्यौहार, अब जहाँ गुंडे होंगे वहां अभद्रता तो होगी न.....
>>ईश्वर का आह्वान कर्म, भक्ति ( पूजा पाठ ) व् ज्ञान से किया जाता है जिन्हे त्रय काण्ड कहते है.....
>> स्वप्न अचेतन मस्तिष्क के चिन्ह है, विश्वास अंधा न हो , विचार ऊँचे हों, निर्णय न्यायपरत हो, मृत्यु को लक्ष्य करता सफल जीवन हों.....
>> जोइ है अरु जैसा है है सो अपने देस ।
पाप पोष बहु दोष किए कोइ पड़ा परदेस ।। ६ ॥
भावार्थ : -- जो है जैसा है वह अपने देश में ही है । कोई तो परदेश में पड़कर पाप को पोषित करते हुवे दोष पर दोष किए जा रहा है ॥
>> पश्चिमी देशों में बहुतेरों की माँ नहीं होती.....क्यों ?
>> ये नेता न होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.....
>> अविष्कारों का सर्वाधिक दुरुपयोग शासक वर्ग द्वारा होता है, ऐसा दुरुपयोग दंडनीय अपराध हो.....
>> यदि हमारे भारत की नीति चाय-चिप्स के स्थान पर दूध-दही वाली होती तो यह आर्थिक रूप से पिछड़ा न होता.....
राजू : -- फिर तो पी एम भी चाय की दुकान न होकर बड़ा सा मिष्ठान्न भंडार होता....
>> राजू : -- वो भी वहां जहाँ पी एम का चूल्हा गौ माता के दूध से जलता था.....
>> अधिकांश साध्य/असाध्य रोगों के जनक विदेश ही क्यों हैं..... ?
दया, दान, त्याग, सत्य जैसे अंतर्भावों के अभाव का गुणसूत्रों अथवा जींस पर प्रभाव शोध का विषय है.....
>> जो बीत गए वो जमाने नहीं आते..,
आते हैं नए लोग पुराने नहीं आते
लकड़ी के मकानों में चरागों को न रखना
अब पड़ोसी भी आग बुझाने नहीं आते
------ ॥ अज्ञात ॥ -----
>> विद्यमान सत्ताधारियों को मंदिर बनाने के लिए ललकारो तो ये ढोंगी साधु-संतो के पटकों के पीछे दुबक जाते हैं.....
>> मांसाहार पर प्रतिबन्ध का अर्थ है हिंसा पर प्रतिबन्ध : -- यदि तालिबान में ऐसा कोई प्रबंध है तो सभी देशों को तालिबान जैसा बनना चाहिए.....
>> अब तो सत्ताधारियों का भारत भी टी. बी. में बसने लगा है.....
>> वर्तमान में भारत की आर्थिक विषमताओं का प्रमुख कारण यहाँ के धनपतियों की दरिद्रता है.....
>> जोरी कीयाँ जुलुम है मँगे जवाब खुदाए ।
खालिक दर खूनी खड़ा मार मुँही मुख खाए ॥
----- ॥ संत कबीर दास ॥ -----
>> कच्छे में रहने वालों के बनाए नेता दस लखटकिया सूट में रहते हैं ? और ये कुछ कहते भी नहीं.....आश्चर्य है.....
>> खाता वाली योजना के बारे एक ' हमाल ' तक का कहना था = पइसा सकलत हें : = अर्थात तरलता अवशोषित कर रहे हैं महंगाई तो बढ़ेगी ही.....
>> राजू : -- हमरे नगर में भी एक ठो झोझरू पारा है वहां भी आज तक कोई पी एम नहीं आया.....
" उ बाजू के नगर में तो दो ठो हैं....."
>> राजू : -- ऐतना ऊँचा चढ़ के बाँग देने की क्या आवश्यकता थी, नीचे से सुनाई दे जाता.....
>> हमरे नगर में भी मना था ई गुंडे लोगन का त्यौहार, अब जहाँ गुंडे होंगे वहां अभद्रता तो होगी न.....
>>ईश्वर का आह्वान कर्म, भक्ति ( पूजा पाठ ) व् ज्ञान से किया जाता है जिन्हे त्रय काण्ड कहते है.....
>> स्वप्न अचेतन मस्तिष्क के चिन्ह है, विश्वास अंधा न हो , विचार ऊँचे हों, निर्णय न्यायपरत हो, मृत्यु को लक्ष्य करता सफल जीवन हों.....
>> जोइ है अरु जैसा है है सो अपने देस ।
पाप पोष बहु दोष किए कोइ पड़ा परदेस ।। ६ ॥
भावार्थ : -- जो है जैसा है वह अपने देश में ही है । कोई तो परदेश में पड़कर पाप को पोषित करते हुवे दोष पर दोष किए जा रहा है ॥
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