Saturday, 15 August 2015

----- ॥ टिप्पणी ७ ॥ -----

>> रक्त-सम्बंधित बहुंत से अनुसंधान होने बाकी हैं केवल वर्ग मिलान से संतुष्ट नहीं होना चाहिए.....रोगी को निकट संबंधियों का ही रक्त देना चाहिए तत्पश्चात अन्य का.....

>> पश्चिमी देशों में बहुतेरों की माँ नहीं होती.....क्यों ? 
>>  ये नेता न होते तो पता नहीं हमारा क्या होता..... 
>> अविष्कारों का सर्वाधिक दुरुपयोग शासक वर्ग द्वारा होता है, ऐसा दुरुपयोग दंडनीय अपराध हो.....
>> यदि हमारे भारत की  नीति चाय-चिप्स के स्थान पर दूध-दही वाली होती  तो यह आर्थिक रूप से पिछड़ा न होता.....
राजू : -- फिर तो पी एम भी चाय की दुकान न होकर बड़ा सा मिष्ठान्न भंडार होता....   

>> राजू : -- वो भी वहां जहाँ  पी एम का चूल्हा गौ माता के दूध से जलता था.....

>> अधिकांश साध्य/असाध्य रोगों के जनक विदेश ही क्यों हैं..... ? 
दया, दान, त्याग, सत्य जैसे अंतर्भावों के अभाव का गुणसूत्रों अथवा जींस पर प्रभाव शोध का विषय है..... 

>> जो बीत गए वो जमाने नहीं आते..,
        आते हैं नए लोग पुराने नहीं आते 
        लकड़ी के मकानों में चरागों को न रखना 
       अब पड़ोसी भी आग बुझाने नहीं आते  
              ------ ॥ अज्ञात ॥ -----

>> विद्यमान सत्ताधारियों को मंदिर बनाने के लिए ललकारो तो ये ढोंगी साधु-संतो  के पटकों  के पीछे दुबक जाते हैं.....

>> मांसाहार पर प्रतिबन्ध का अर्थ है हिंसा पर प्रतिबन्ध : -- यदि तालिबान में ऐसा कोई प्रबंध है तो सभी देशों को तालिबान जैसा बनना चाहिए.....

>>  अब तो सत्ताधारियों का भारत भी टी. बी. में बसने लगा है.....

>> वर्तमान में भारत की आर्थिक विषमताओं का प्रमुख कारण यहाँ के धनपतियों की  दरिद्रता है..... 
>> जोरी कीयाँ जुलुम है मँगे जवाब खुदाए । 
खालिक दर खूनी खड़ा मार मुँही मुख खाए ॥ 
----- ॥ संत कबीर दास ॥ -----
>> कच्छे में रहने वालों के बनाए नेता दस लखटकिया सूट में रहते हैं ? और ये कुछ कहते भी नहीं.....आश्चर्य  है..... 
  >> खाता वाली योजना के बारे एक ' हमाल ' तक का कहना था = पइसा सकलत हें : = अर्थात तरलता अवशोषित  कर रहे हैं महंगाई तो बढ़ेगी ही..... 

>> राजू : -- हमरे नगर में भी एक ठो झोझरू पारा है वहां भी आज तक कोई पी एम नहीं आया.....
                    
" उ बाजू के नगर में तो दो ठो हैं....."  

>> राजू : -- ऐतना ऊँचा चढ़ के बाँग देने की क्या आवश्यकता थी, नीचे से सुनाई दे जाता..... 

>> हमरे नगर में भी मना था ई गुंडे लोगन का त्यौहार, अब जहाँ गुंडे होंगे वहां अभद्रता तो होगी न..... 
>>ईश्वर का आह्वान कर्म, भक्ति ( पूजा पाठ ) व् ज्ञान से किया जाता है जिन्हे त्रय काण्ड कहते है.....

>> स्वप्न अचेतन मस्तिष्क के चिन्ह है, विश्वास अंधा  न हो ,   विचार ऊँचे हों,  निर्णय न्यायपरत हो,  मृत्यु को लक्ष्य करता सफल जीवन हों..... 

>> जोइ है अरु जैसा है है सो अपने देस । 
      पाप पोष बहु दोष किए कोइ पड़ा परदेस ।। ६ ॥ 
भावार्थ : --  जो है जैसा है वह अपने देश में ही है । कोई तो परदेश में पड़कर पाप को पोषित करते हुवे दोष पर दोष किए जा रहा है ॥  

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