>> हवलदार बनने के अयोग्य व्यक्ति यदि देश का गृहमंत्री बन जाए फिर तो खेत लूटने ही हैं.....
>> " किसी विशेष धर्मावलम्बियों के समुदाय को सम्प्रदाय कहते है....."
>> " किसी धर्म में संप्रदिष्ट जाति के समूह को समाज कहते है...."
विश्व में ऐसा कोई राष्ट्र नहीं है जो किन्ही दो या अधिक सम्प्रदाय द्वारा निर्मित किया गया हो.
तालिबान वाले पूर्ण इस्लामिक राष्ट्र बनने से अच्छा है भारत गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाकर एक हिन्दू राष्ट्र बन जाए.....
>> चातुर्वर्ण्य व्यवस्था वैदिक काल में हिन्दू धर्म के अनुयायियों की व्यवस्था थी जो उनके कर्मों पर आधारित थी इसे परमात्मा के नहीं रचा था.....
>> जेल अउ बेल की घर पहुंच सेवा काहे नहीं कर देते.....
>> जिस देश का प्रधानमंत्री अपराधियों के संग पतंगबाजी करता हो उस देश की शासन व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह न लगे तो क्या लगे.....
>> मुस्कराते लब किनार चश्में-आब से भरे..,
किश्तियाँ तेरे नाम की लरज़ती सी उतरे.....
>> अपने मुख्यमंत्रियों से नेपाल के लिए भीख मंगवाने वाले इस लखटकिया सूट धारी उड़न छू प्रधानमंत्री को आटे-दाल का भाव का पता भी है.....?
>> ये अगले पिछले सत्ता धारी के जैसे बिड़ला वाले भवनों में उद्योगपतियों के साथ बैठकर जनता जनार्दन के कर के पैसों को उड़ाना छोड़ दे अन्यथा तो जनता पिछले को तो केवल अपने साथ खड़ा की है अगलों को उलटा लटका देगी.....
>> सागर सरिस गभीर हो गिरी सरिस हो धीर..,
तन पर जति सम चीर हो तासु नाउ रघुबीर.....
>> चोर चतुर बटमार नट,प्रभु पिय भँड़ुआ भंड ।
सब भच्छक परमारथी,कलि सुपंथ पाषंड ॥
----- ॥ गोस्वामी तुलसी दास ॥ -----
भावार्थ : -- कलयुग में चोर चतुर लुटेरे कलाकार माने जाते हैं, भांड राजा और भड़वे उसके प्रिय होते हैं । खान-पान का विचार त्यागकर सर्वाहारी ही महात्मा माने जाते हैं पाखंड ही सन्मार्ग समझा जाता है ॥
>> सत्य भी पूर्णता का अभिलाषी होता है :
पहले भी मनुष्य ही थे यह सत्य है कैसे देव तुल्य थे यह पूर्णत:सत्य है..,
अब भी मनुष्य ही हैं यह भी सत्य है कैसे पशु तुल्य हैं यह पूर्णत: सत्य है.....
>> हमारे दश के उद्योग पतियों का नाम इण्डिया गेट पर लिखवाना चाहिए ।और इतने बढे बढे अक्षरों में लिखवाना चाहिए की वो गंगासागर रामेश्वरम द्वारिका से भी दिखे । भरती हंडे पर २७० रूपए प्रतिमास की छूट अब जाकर छूटी है इनसे.....
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