------|| फाग || -----
मोपे भरी भरी के पिचकार न असोइ रंग डारौ पिया |
होरिया के दिन देइ के द्वार न ऐसोइ पट ढारौ प्रिया ||
अलक पलक घनस्याम तोरी बिजुरी गिराए |
कोदंडु कासि कासि के तीछे बैनन्हि चलाए ||
करके नैनन को बाँकी कटार मोहे ऐसे न निहारो प्रिया |
मेले रंग माहि रंग मेले राग माहि राग |
मेले गगन संग धरती खेले फागुन मैं फाग ||
तुमभी गलबहियाँ न्यौछार तनिक लाज परिहारौ प्रिया |
पाके प्रीति के रंग कुमकुम करतल पै धार |
होरी होरी बोल के रही गोपियन बौछार ||
गूंजे ग्वालन ते गाँव गलियार रंगधुरी बिखारौ रसिया |
मोपे भरी भरी के पिचकार न असोइ रंग डारौ पिया |
होरिया के दिन देइ के द्वार न ऐसोइ पट ढारौ प्रिया ||
अलक पलक घनस्याम तोरी बिजुरी गिराए |
कोदंडु कासि कासि के तीछे बैनन्हि चलाए ||
करके नैनन को बाँकी कटार मोहे ऐसे न निहारो प्रिया |
मेले रंग माहि रंग मेले राग माहि राग |
मेले गगन संग धरती खेले फागुन मैं फाग ||
तुमभी गलबहियाँ न्यौछार तनिक लाज परिहारौ प्रिया |
पाके प्रीति के रंग कुमकुम करतल पै धार |
होरी होरी बोल के रही गोपियन बौछार ||
गूंजे ग्वालन ते गाँव गलियार रंगधुरी बिखारौ रसिया |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (22-03-2019) को "होली तो होली हुई" (चर्चा अंक-3282) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाऔं के साथ-
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर, शुभकामनाएं
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