------ || राग-मेघमल्हार | -----
गरजि गरजि बरखा ऋतू आई
घोरि घटा एक एक परछाई
गरजि गरजि नभ घन आए ,
बादत मधुर मधुर अल्हादत नदि परबत परी पधराए | १ |
घुमरि घटा छननन झनकारे देखु बरखत छत छत छाए |
झुनुरु झुनुरु करि झरि झरि बुँदिआ कसि रसियन माहि अपुराए | २ |
रुर नुपूरन्हि के रूप धरी बनि झाँझरिआ परि पाए |
ऐ री सखि एहि दमकिहि दामिनि कि कटि कौधनिआ कौंधाए | ३ |
करन धार कौ आँचर देई पुरट पट अध् सीस धराए |
निरखि छटा छन छबि असि नीकी लोगन्हि मन अति सुख पाए | ४ |
सींचत तरु बन उपबन डोलै गहे अमरित घट अभराए |
दए जल पीपलि बट हरियावत पुनि पनघट गई पधराए | ५ |
धरेउ ओंठ कर कियौ अँजुरी दुइ बूँद कै आस लगाए |
गहि घट ओंक झट दे घारी जूँ तट तट प्यासत पाए | ६ |
घोर घाम सिरु तिसत कंठ बहु आह पथिक पंथ पेखाए |
करसि करसि कर दए भरि कलसी तापर नहीं पिअत अघाए | ७ |
अतिअ मीठ मिसिरी रस लागै देहु और कहत सकुचाए |
चलिए अजहुँ सखि संभु दुआरे कहा नैनन सोंहि दुराए ? | ८ |
------------------------------------------------------------------
आए पावस पाहुन पिया रे
अंजन सहुँ कारे कारे
--------------------------------
----- || राग -भैरवी || -----
बादल तोरी पालकी पवन कहारा
घन साँवरा सलौना तोरा साजन जग सोंहि न्यारा |
हंस दियो रे हिरन दियो रे दियो हीर को दहेज्यो
भूरि भूषन न्यौछारि तोहि पियहि के द्वारि भेज्यौ
मनि रतनन कौ आगर तोरा बाबुल प्यारा प्यारा
बिजुरी चुनरिया सीस पट देइ के
पुरट करि कंकनिया कौंधन तट देइ के
कंठ घरी बूंदन करि मुतियन के हारा
बादल तोरी पालकी पवन कहारा...
माथ तोरे लाल करी ललटीका लोलती
कानन परी कुंदन की कुण्डलिआ बोलती
बरखाती बुंन्दतोरे मुतियन के हारा
सूरज जटी चंदा जटी अरु तारन जटी चूनरी
मनि मरकत करि मूँदरी
आगे पाछे परिजन ते नैना बचाई के
संग झलक लेत चलत तोरी छटा छब पै रिझाई के
हेरी घोर घटा चित्त चोर तोरा प्रीतम हरियारा
सिंगारा
गरजि गरजि बरखा ऋतू आई
घोरि घटा एक एक परछाई
गरजि गरजि नभ घन आए ,
बादत मधुर मधुर अल्हादत नदि परबत परी पधराए | १ |
घुमरि घटा छननन झनकारे देखु बरखत छत छत छाए |
झुनुरु झुनुरु करि झरि झरि बुँदिआ कसि रसियन माहि अपुराए | २ |
रुर नुपूरन्हि के रूप धरी बनि झाँझरिआ परि पाए |
ऐ री सखि एहि दमकिहि दामिनि कि कटि कौधनिआ कौंधाए | ३ |
करन धार कौ आँचर देई पुरट पट अध् सीस धराए |
निरखि छटा छन छबि असि नीकी लोगन्हि मन अति सुख पाए | ४ |
सींचत तरु बन उपबन डोलै गहे अमरित घट अभराए |
दए जल पीपलि बट हरियावत पुनि पनघट गई पधराए | ५ |
धरेउ ओंठ कर कियौ अँजुरी दुइ बूँद कै आस लगाए |
गहि घट ओंक झट दे घारी जूँ तट तट प्यासत पाए | ६ |
घोर घाम सिरु तिसत कंठ बहु आह पथिक पंथ पेखाए |
करसि करसि कर दए भरि कलसी तापर नहीं पिअत अघाए | ७ |
अतिअ मीठ मिसिरी रस लागै देहु और कहत सकुचाए |
चलिए अजहुँ सखि संभु दुआरे कहा नैनन सोंहि दुराए ? | ८ |
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आए पावस पाहुन पिया रे
अंजन सहुँ कारे कारे
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----- || राग -भैरवी || -----
बादल तोरी पालकी पवन कहारा
घन साँवरा सलौना तोरा साजन जग सोंहि न्यारा |
हंस दियो रे हिरन दियो रे दियो हीर को दहेज्यो
भूरि भूषन न्यौछारि तोहि पियहि के द्वारि भेज्यौ
मनि रतनन कौ आगर तोरा बाबुल प्यारा प्यारा
बिजुरी चुनरिया सीस पट देइ के
पुरट करि कंकनिया कौंधन तट देइ के
कंठ घरी बूंदन करि मुतियन के हारा
बादल तोरी पालकी पवन कहारा...
माथ तोरे लाल करी ललटीका लोलती
कानन परी कुंदन की कुण्डलिआ बोलती
बरखाती बुंन्दतोरे मुतियन के हारा
सूरज जटी चंदा जटी अरु तारन जटी चूनरी
मनि मरकत करि मूँदरी
आगे पाछे परिजन ते नैना बचाई के
संग झलक लेत चलत तोरी छटा छब पै रिझाई के
हेरी घोर घटा चित्त चोर तोरा प्रीतम हरियारा
सिंगारा
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