आयो दुआरि नौ बरस, पुरान लेइ बिदाए ।
करत सुवागत बाट-बन, पाँवर पलक बिछाए । १ ।
तरुनई अरुन किरन सों, चारुहु चरन रचाइ ।
कूल कूलिनी निरत रत, रमझौरे खनकाइ ।२ ।
ढोल मजीर सन झाँझरि, नद्पत संख बजाए ।
सुर गाँऊँ सिंगार कर, रागिनि मंगल गाए ।३।
चित्ररथी चितकारी किए, पथ पथ चौंक पुराए ।
मंडप मंडित मंच पर, मंजरिया डुलियाए ॥
पुहुप सेखर करज धरे,दुलनिया सी लजाइ ।
सौंधी सौंधी पुरबाइ, अगुवानी सरनाइ ।५।
पाँवर = देहली
चारू = कुमकुम
रामझौरे = घुंघरू,नुपूर
निरत = नृत्य
चित्ररथि = सूर्यदेव
मंजरी : छोटे छोटे पुष्प गुच्छ
पुहुप शेखर = पुष्प माला
अगुवानी सरनाए = स्वागत हेतु आगे आना
-----॥ प्रनय पाती ॥ -----
प्रथम किरन गहे नौसर, नौ नौ भूषन भेस ।
लेखे नवल बत्सल को, नभ आवनु संदेस ।१।
भाव भरे पंगत निलय, अंतर किये प्रबेस ।
प्रनुत प्रनय निवेदन किए, लाज लहत लवलेस ।२।
कथन गहन अलंकृत हो, अभरित नौ गनबेस ।
कहत प्रिया पथ जोग रहि ,पिय तव प्रतिसंदेस ।३।
अंतर आखर सुघर लिख, स्वागतम सुभ सेस ।
पल मह पाटल पुहुप की, रख पाँखुरियाँ पेस ।४ ।
दु बरन लिख कहि आपकी , नाम लिखा निज केस ।
पातिहि ऊपर जोग लिखे, नव अम्बर के देस ।५।
नौसर = ओस की बिंदुओं का लड़ियों का हार
वत्सल = वर्ष
निलय =ह्रदय
प्रनत = अंतर आख्यान में
गणवेश = समूह भूषा
प्रतिसंदेस = प्रतिउत्तर में
पातळ = गुलाब
पेस =कोमल
केस = किरण
करत सुवागत बाट-बन, पाँवर पलक बिछाए । १ ।
तरुनई अरुन किरन सों, चारुहु चरन रचाइ ।
कूल कूलिनी निरत रत, रमझौरे खनकाइ ।२ ।
ढोल मजीर सन झाँझरि, नद्पत संख बजाए ।
सुर गाँऊँ सिंगार कर, रागिनि मंगल गाए ।३।
चित्ररथी चितकारी किए, पथ पथ चौंक पुराए ।
मंडप मंडित मंच पर, मंजरिया डुलियाए ॥
पुहुप सेखर करज धरे,दुलनिया सी लजाइ ।
सौंधी सौंधी पुरबाइ, अगुवानी सरनाइ ।५।
पाँवर = देहली
चारू = कुमकुम
रामझौरे = घुंघरू,नुपूर
निरत = नृत्य
चित्ररथि = सूर्यदेव
मंजरी : छोटे छोटे पुष्प गुच्छ
पुहुप शेखर = पुष्प माला
अगुवानी सरनाए = स्वागत हेतु आगे आना
-----॥ प्रनय पाती ॥ -----
प्रथम किरन गहे नौसर, नौ नौ भूषन भेस ।
लेखे नवल बत्सल को, नभ आवनु संदेस ।१।
भाव भरे पंगत निलय, अंतर किये प्रबेस ।
प्रनुत प्रनय निवेदन किए, लाज लहत लवलेस ।२।
कथन गहन अलंकृत हो, अभरित नौ गनबेस ।
कहत प्रिया पथ जोग रहि ,पिय तव प्रतिसंदेस ।३।
अंतर आखर सुघर लिख, स्वागतम सुभ सेस ।
पल मह पाटल पुहुप की, रख पाँखुरियाँ पेस ।४ ।
दु बरन लिख कहि आपकी , नाम लिखा निज केस ।
पातिहि ऊपर जोग लिखे, नव अम्बर के देस ।५।
नौसर = ओस की बिंदुओं का लड़ियों का हार
वत्सल = वर्ष
निलय =ह्रदय
प्रनत = अंतर आख्यान में
गणवेश = समूह भूषा
प्रतिसंदेस = प्रतिउत्तर में
पातळ = गुलाब
पेस =कोमल
केस = किरण
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
ReplyDeleteहों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें --