Sunday, 16 February 2014

----- ॥ दोहा-पद॥ -----

----- || राग -बसंत || -----
पूस रथ हेमन हिमबर, बिदा कियो हेमंत ॥ 
आयो राज बसंत सखि, छायो राज बसंत ।। 

नौ पत फल नवल द्रुमदल भइ रितु अति रतिबंत । 
आयो राज बसंत सखि, छायो राज बसंत ।। 

पील नील नव नारंजी , केसरियो हरि कंत । 
आयो राज बसंत मन भायो राज बसंत ॥ 

गाजत घन गगन महि घन रागए राग दिगंत | 
आयो राज बसंत मन भायो राज बसंत ॥ 

नारद सारद सेष श्रुति सुर मुनि संत महंत । 
गायो राग बसंत सखि आयो राज बसंत ।। 

सारंगी संग सिंगार, रुर सुर सात सुबंत । 
गायो राग बसंत सखि छायो राग बसंत ॥ 

कास कोनिका कैसिका , कल बीना के तंत । 
गायो राग बसंत सखि छायो राग बसंत  ॥ 

बृंदाबन बेनु बोलत , बादहि बादन यंत । 
गायो राग बसंत सखि छायो राग बसंत ॥ 



जल नुपूर रुर फुर संग, रकत कंठ अलि रंत । 
गायो राग बसंत मन भायो राग बसंत ॥ 

शोख शिफक अबीर अबलक, चिरक फ़लक (तलक )पर्यन्त । 
खेलए फाग बसंत आ हेलए फाग बसंत ॥ 

राग ललित परिपाटलित, छिरक गगन परजंत । 
खेललि फाग बसंत हेललि फाग बसंत ॥ 

लाल ललितक गाल ललित, लै रस लस रसवंत । 
खेलए फाग बसंत सखि मेलए फाग बसंत ॥ 

पूस रथ हेमन हिमबर, बिदा कियो हेमंत ॥ 
आयो राज बसंत सखि, छायो राज बसंत ।। 

भाल ललामिक लाल ललामिक लसत मुख रजत जयंत । 
लायो सौहाग बसंत मन भायो सौहाग बसंत ॥ 







                                               क्रमश: 

4 comments:

  1. पील नील नव नारंजी , केसरियो हरि कंत ।
    आयो राज बसंत मन भायो राज बसंत ..
    बहुत ही सुन्दर ... बहुत समय बाद इतने भावमय दोहे पढ़ने को मिले हैं ... लाजवाब ...

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  2. अभिनव शब्द, अप्रतिम लेखनी, उत्कृष्ट दोहे... बधाई स्वीकारें...इन वासन्ती दोहों को पढ़ कर मन आनंदित और प्रफ्फुलित हो गया...

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