जँह सुमिरन मैं हो मगन, भजमन भगवन नाम ।
भाब भगति में हो लगन, तँह धन के काम ।।
रचे पद पत पदासीन, सुन्दर सुन्दर ठाम ।
जन जन हो जँह अधिपते, तँह तिनके का काम ।।
हार अरथ हिय हार, जीतार्थ जन मन जीत ( 'मत' मत जीत) ।
जग कल्यान अधार, हो जनहित में सब रीत ॥
करन जगन उद्धार, सेवापन के कर थाम ।
जँह सुमिरन में हो लगन, भजमन भगवन नाम ॥
बर बरासन स्थाप, बिराजे नयन सों दूर ।
धूरे धूरे आप, भगवन भरि धूरिहि धूर ॥
प्रभुवन निलयन ताप,तू सीतल सीतल श्राम ।
भाव भगति मैं हो लगन, तँह तिनके का काम ॥
बाहिर घन अँजोर, अंतरतम घन अंधेर ।
बाहिर पलक पछोर, अंतर मह मल के ढेर ।।
कुल नामावलि छोर, धारे निज सौ उपनाम ।
भाव भगति मैं हो लगन, तँह तिनके का काम ॥
पलक पछोर = जिसके धूल के महीन कणों को पलकों से झाड़ा जाए उसे पलक पछोड़ कहते हैं
भाब भगति में हो लगन, तँह धन के काम ।।
रचे पद पत पदासीन, सुन्दर सुन्दर ठाम ।
जन जन हो जँह अधिपते, तँह तिनके का काम ।।
हार अरथ हिय हार, जीतार्थ जन मन जीत ( 'मत' मत जीत) ।
जग कल्यान अधार, हो जनहित में सब रीत ॥
करन जगन उद्धार, सेवापन के कर थाम ।
जँह सुमिरन में हो लगन, भजमन भगवन नाम ॥
बर बरासन स्थाप, बिराजे नयन सों दूर ।
धूरे धूरे आप, भगवन भरि धूरिहि धूर ॥
प्रभुवन निलयन ताप,तू सीतल सीतल श्राम ।
भाव भगति मैं हो लगन, तँह तिनके का काम ॥
बाहिर घन अँजोर, अंतरतम घन अंधेर ।
बाहिर पलक पछोर, अंतर मह मल के ढेर ।।
कुल नामावलि छोर, धारे निज सौ उपनाम ।
भाव भगति मैं हो लगन, तँह तिनके का काम ॥
पलक पछोर = जिसके धूल के महीन कणों को पलकों से झाड़ा जाए उसे पलक पछोड़ कहते हैं
बहुत सुंदर सार्थक दोहे... रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ...
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