Friday, 27 June 2025

----- ॥ टिप्पणी 22॥ -----,

 >> हम भारतीयों को स्वाधीनता का झुनझुना पकड़ाया गया है जिसे हम प्रत्येक पंद्रह अगस्त में बजा कर फुले नहीं समाते, वस्तुत:भारत कभी स्वतंत्र हुवा ही नहीं इस पर अब भी इस्लाम का अघोषित राज है

>> मां खादी की चादर दे दे तो हम भी गांधी बन जाएं, किंतु रहने के लिए बिड़ला का भवन कहां से लाएं?
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
>>आयकर अधिनियम के आधार पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर मंडल (सीबीडीटी) के एक वर्तमान दिशानिर्देश में किसी विवाहिता के पास 500 ग्राम तक स्वर्ण आभूषण की सीमा निर्धारित की गई जिसके स्त्रोत का प्रमाण आयकर विभाग को नहीं देना होता इससे अधिक स्वर्णाभूषण होने पर इसके स्त्रोत का प्रमाण देना होता है | 

>>आपातकाल में किसी परिवार के पास ऐसे स्वर्णाभूषण की मात्रा केवल 50ग्राम निर्धारित की गई और घर घर में छापे मार मार कर गृहिणियों को पुरखों द्वारा प्राप्त हुवे स्वर्णाभूषणों को लूट लिया गया था

>> लोग तब कहने लगे वो सोमनाथ मंदिर तो एक था जिसको मुसलमानों ने लुटा था अब तो सोमनाथ मंदिर से ये घर घर हैं जिन्हें फिर से लूटा जा रहा है सत्ताधारियों को कांग्रेस से पूछना चाहिए उस समय आयकर के छापे से जो धन एकत्र हुआ वह गया कहां

>> हमारी पीढ़ियों ने भारत विभाजन और आपातकाल दोनों को भुगता है.....
 --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
>> ये एक नारा प्रचलित हुआ था: जहां बलिदान हुवे मुखर्जी वो काश्मीर हमारा है जो काश्मीर हमारा है वो सारे का सारा है.....
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
>> नक्सलवाद की व्युत्पत्ति आतंकवाद के उद्देश्यों से सर्वथा भिन्न कतिपय क्षेत्र जीविकों हेतु उनके क्षेत्र व वन्य भूमि की आधिग्रहीता के विरुद्ध हुई थी,यह वाद एक सामाजिक सिद्धांत पर आधारित प्रकृति की रक्षा के विध्वंशकारी मार्ग का अनुगामी होकर सत्ता की उन दमनकारी नीतियों के विरुद्ध था जो कतिपय धनाढ्य वऔद्योगिकवर्ग की उच्चाकांक्षाओं की पूर्ति हेतु थी | विध्वंशक विचारधाराओं के प्रभाव से कालांतर में यह वाद हिंसा जनित विकारों से युक्त होकर अपने उद्देश्यों से विभ्रमित हो गया भ्रम की इस स्थिति ने उसे भयोत्पादक तत्वों के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया.....
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
शांति वस्तुत: युद्ध का पूरोवर्ती उपाय है युद्ध पश्चात पराजेता हेतु केवल एक विकल्प जो शेष रहता है वह है......आत्मसमर्पण.....
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
मृत्यु निकट दर्शते ही इस्लाम को मानवतावाद स्मरण होने लगता है.....
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
बारातियों के जैसे आवभगत हो रही है काश्मीर के मुसलमानों की..... जागो भारत की संतानों....
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
देशों को लोगों को इस्लामिक बनाकर उसे मरने के छोड़ दो यह इस्लाम की प्रवृत्ति रही है.....
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
>> क्रुद्धहृष्टभीतार्तुलुब्धबालस्थविरमूढमत्तोन्मत्तवाक्यान्यनृतान्यपातकानि | ( मात्रा एक शब्द में कितना कुछ व्याख्यान करती है संस्कृत भाषा ) ----- ॥ गौतमधर्मसूत्र ५ /२ ॥ -----
भावार्थ :दान तभी करना यथेष्ट हैजब उसका अधिकार प्राप्त हो :भावावेश में, भयभीत होकर,रुग्णावस्था में, अल्पावस्था में, मदोन्मत्त अवस्था में, विक्षिप्त,अर्ध विक्षिप्त अथवा अमूढ़ अवस्था में दान देनानिषेध है|

>> दान देने का अधिकारी कौन हो जो अपना पालन पोषण करने में आपही सक्षम हो । एवं जो मात-पिता पालक अभिभावक अथवा अन्य द्वारा देने हेतु अनुमति दी गई हो ॥

>> भारतीय संविधान के वयस्कता अधिनियम के अनुसार जो अवयस्क है किन्तु अपना पालन-पोषण करने में सक्षम है वह अपने पालक/अभिभावक की अनुमति से ही दान करना चाहिए ।

>> अब प्रश्न है कि जो वयस्क हैं किन्तु अपना पालन-पोषण करने में असमर्थ हैं क्या उन्हें दान करना चाहिए ? (जब दान शब्द ही सम्मिलित हो उसका तात्पर्य है कोई भी दान )

>> क्या इन्हें संज्ञान है कि धन कैसे अर्जित किया जाता है ?क्या उन्हें आटे दाल का भाव ज्ञात है ? यक्ष प्रश्न है कि क्या मतदान करने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष उचित है?
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
शाकाहार बनो शाकाहार से घर मे मित व्ययता का वास होगा
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
जहां संतोष होता है वहां जगत सारे धनकोष होते हैं
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
जय जमुना नामक योजना से जमुना की स्वच्छता पर भी सत्ताधारियों को ध्यान देना चाहिए
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
हम सौ नेता ऊपर भेजते हैं उसमें दस ही पहुंचते हैं उन दस में कोई एक ही राष्ट्र का चिंतन करता दर्शित होता है
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
>> आरक्षण न होता तो भारत के शैक्षणिक संस्थान सर्वोच्च स्थानों को प्राप्त होते . . ...
>>भारतीय शैक्षणिक संस्थानों को वैश्विक श्रेष्ठता प्राप्त करने में सबसे बड़ा बाधक आरक्षण है.....
>> हमारे नेता विदेश में जाकर तो बड़ी बड़ी बाते करते है फिर भारत लौटते ही वे जाँत पाँत वाले रुढ़ीवादी आरक्षण का झंडा उठाए फिरते हैंI
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
हमारे देश में बहुंत से बच्चे व युवा दिव्यांका सहित मानसिक रोगी भी है जिनका आधार तक नहीं बना है ये मानसिक रोगी आधार प्राप्त करने की जटिल प्रक्रिया का अनुशरण नहीं कर पाते तब इनकी गणना कैसे होगी?
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
सभी धर्मों का आदर करना धर्मनिरपेक्ष या सेक्युलर हैं सभी धर्मों को अधिकार देना धर्मनिरपेक्ष नहीं है 
धर्मनिरपेक्ष शब्द का दुरुपयोग कर सत्ताधारी सत्ता साधने हेतु भारत में प्रादुर्भूत धर्म के अवलम्बियों की उपेक्षा कर अन्यान्य धर्मावलम्बियों को अधिकार देते चले गए जिसका परिणाम यह हुवा की भारत देश न बनकर धर्मशाला बन गया 


 

No comments:

Post a Comment