Sunday, 8 June 2025

----- || दोहा- विंशी ११ ||-----

8 जून 2025 

सत दया तप धर्म दान, जाका नेम बिधान | 

भारत के लोग सो जो, भारत की संतान ||१  ||


अधुनातन का संविधान है एक छद्मन ग्रन्थ | 
अधरम का आधार ये पराधीन का पंथ || २  || 

चित्र लेख उल्लेखति चित्रकार की कूचि | 
सूक्ति सूत्र स्वरूप यह भारत भूमि समूचि || ३  || 

चार धर्म के देवता जिसके हैं अधिराज |
यह भारत का गण यही भारत का गणराज || ४  || 

गौ गौरी गंगा संग करे ॐ आह्वान | 
यह भारत की संस्कृति यह भारत की पहचान ||५ ||   
 

यह भारत की देहली यह यह है देश द्वार | 
अतिथि देवो भव: सदा, भारत का संस्कार ||६||   

तपोभूमि स्वरूप यह मेरा भारत देश | 
तीन देव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेष || ७ || 


हिंसारत की सरन थली यह पच्छिम बंगाल  | 
निसदिन बैभव भूति ते होत जात कंगाल || ७ || 

पीली पीली पागड़ी केसरियो पहिरान |  
रँग रँगीलो म्हारो प्यारो राजस्थान || ८ || 

कोपर थाली खीर भरि रसिलौ रे पकवान | 
रँग रँगीलो म्हारो प्यारो राजस्थान || ९ || 

बोली बोले मिश्री सी लगे लौन की खान | 
रँग रँगीलो म्हारो प्यारो राजस्थान || १०|| 

बजे ढमक ढम ढोलका कंठ सुरिलो तान | 
रँग रँगीलो म्हारो प्यारो राजस्थान || ११ || 

 पाथरी भी बोल पड़े करे देस गुण गान 
रँग रँगीलो म्हारो प्यारो राजस्थान || १२ || 

धूरि धूरि धौल गिरि सी धरे राजसी बान | 
रँग रँगीलो म्हारो प्यारो राजस्थान || १३ || 

महराणा जी रो मूरति धरे हाथ किरपाण |
|रँग रँगीलो म्हारो प्यारो राजस्थान || १४ || 

भारत के हृदय स्थित सुन्दर मध्यपदेश | 
सदैव विश्व शांति का देता यह सन्देश ||१५|| 









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