सिंहासन राम बिराजे,साजै राज द्वारि |
देव मुनिहि सन भगत जन,करत चरन जोहार ||१ ||
मानिक मुकुता रतन मनि, सुबरन मई द्वार |
पचि कोरि कुसुम अहिबेलि बँधेउ बँदनिवार ||२||
सुलभ भई भगवत कथा, सरल भयो हरि नाम l
भजत भगत जन भव तरत,करत जगत कै काम ||३||
सुन्दर जाकी बानि अति, सुन्दर जाका भेष l
धन्य धन्य सो भगत जन, धन्य धन्य सो देस ll४||
राम नाम सुख आयतन राम नाम सुख धाम l
जय जय नयन अभिराम जय, राम राम सिय राम ll5||
पूजन वंदन आरती करत राम गुण गान l
जोड कर सब लोग कहे जय जय कृपानिधान ll६||
फेर बारी बारे जी जसुदा बारहिबार l
प्रगसे भगवन प्रेम बस, सरबस दय नौछार ll७||
धरम करम माहि आडंबर करतब दरसै लोग
अजहुँ धुरीन कर सौमुह बिसइ ए सोचन जोग ll८II
एकाक दिसि प्रवाह लेय धर्मादा दरसात l खेती तबहि उपजए जब चहुँ दिसि घन बरसात ll९ II
वर्तमान में धर्मादा एकल दिशिक प्रवाहित होता दर्शित हो में रहा प्रतीत हो रहा है कृतफल स्वरूपी उपज तभी उत्पन्न होती है जब वर्षा या धर्मादा चारों दिशाओं में वर्षता है
चींटी कै पग घुंघरु बजे सुनत रामजी सोए l
करत कृपा सहाय होत भगत होए जौ कोए ll१०II
निर्मम के रे करतली दाया मत का हीर |
सो तो कसाई कर कस दावै जी को पीर II११ II
भावार्थ : -निर्मम निर्दयी के करतल में अपने मत का हीरा रख दिया देखो जिसको तुमने मत देकर सिहांसन का सुख दिया वह कैसे कसाइयों के हाथों जीवों को कष्ट दे रहा है
जी तो सबके भीत है सबके भीतर प्रान |
मार सबहि कहुँ पीर दए गहे सबकी देह समान II१२II
भावार्थ : - जी तो सबके भीतर है प्राण भी सबके भीतर होते हैं | चोट तो सबको पीड़ा देती है लाल रक्त धारण किए देह तो सबकी एक समान होती है पशु को इसलिए पीड़ा दें क्योंकि भगवान ने उसे वाणी नहीं दी वह तुम्हे कुछ कह नहीं सकता |
सत्तासीत स्वारथी करता षड़यंत्र है |
राजा का सा भेस भर कहे देस स्वतन्त्र है II१३II
राग वृन्द गह कंठ सह भासै जौ निज भास् |
सरगम लय संगत होत सुर के करत बिकास II१४II
भावार्थ :- राग वृन्द ग्रहण किया कंठ के सह निजभाषा में वार्ता करने से सरगम लय की संगत होते हुवे स्वर का विकास करती है |
सस्य श्यामल धरा मह,पाहन दे उपजाए l
बीपिन कियो सब काँकरी,सब कानन बिनसाए ll .... .
होउते जोअधिकाधिक लघु कुटीर उद्योग |
घर घर माहि दरसते काम लगे सब लोग ||
वृहद उद्योगों की अपेक्षा यदिलघु उद्योग अधिकाधिक होते तो घर घर में लोग काम से लगे होते हैं वृहद् उद्योग उतना काम नहीं देता जितना लघु उद्योग देते हैं यदि देते तोआजीविका विहीन लोगों का वर्ग खड़ा नहीं होता
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