----- ॥ सोहर ॥ -----
सखि गाओ री सोहर जी भइने सुअवसर
कुँअर मनोहर जी सुनु अति सुन्दर दूल्हा बनइयो जी हो,
रामा दूल्हा बनइयो जी हो.....
करधन करधर पाटली परिकर अरु बर बर बसन बसइयो जी हो,
रामा बसन बसइयो जी हो.....
कल किरीट कपाला कंकनि माला अरु मनिहर रतन सजइयो जी हो
रामा रतन सजइयो जी हो.....
चारु चँवर हलरई सिरु छतर दसई के अरु हरियर तिलक लगइयो जी हो,
रामा लगन करइयो जी हो.....
झीनी झीनी रतिया ओरी चारू चंदनिया,
हरी भरी मनिया अरु धौरी धौरी मुतिया में मनहर पुरट पुरइयो जी हो
रामा पुरट पुरइयो जी हो.....
सो बंदन वारी बांध दुअरिया देहर देहर रचइयो जी हो
रामा देहर रचइयो जी हो.....
हरिया चन्देरी अहिबेलि घेरी निज पटतर पट पहरियों जी हो
रामा पट पहरइयो जी हो.....
ताराबरी झलहरी झालरिया जननी के भवन ओरमइयो जी हो
रामा भवन ओरमइयो जी हो.....
कोई लुटावे लकोहरनु कोई रुपइया
बाबा भइया ओ मइया अरु बहिनी भुजइया तूम धेनु गैय्यानु लुटइयो जी हो
रामा धेनु गैय्यानु लुटइयो जी हो.....
ढोलु हनि पावत मुख संख पुरावत ऐ री मुरलिया बधावा बजइयो जी हो
रामा मुरलिया बधावा बजइयो जी हो.....
ललना चिरंजीउ हो ललना जुंग जुग जियो कहि कहि हिय हिलगइयो जी हो
रामा हिय हिलगइयो जी हो.....
चरन जुहारी जो करिहि कुँवर त गोदिया भर घोड़िया चढ़इयों जी हो,
रामा घोड़िया चढ़इयों जी हो.....
बादिहि बादल बृन्दु अगासा । झरिहि झर झर बिंदु चहुँ पासा ॥
भर भर कलसि करषि कर देईं । पियत पयस बूझै न पिपासा ॥
बिमनस मुख सो रभस दुरायो । सरस रहस बस बरुन निवासा ॥
कंठ ताल नूपुर दल पूरे । गावहि झनक झनक चौमासा ।
। हरषित जननी दियो निकासा ॥
दरसै छटा पुरुट पट डारे । अरुन सुधाकर करिहि बिलासा ॥
कोमल करज जलज जय माला । पहिरावन मुख लवन ललासा ॥
----- ॥ सोहागी ॥ -----
हरि हरि कुँअरि पौढ़इयो जी करि पनित पलन में,
ऐ री हरतरी न फेरइयो जी करि पनित पलन में,
बिढ़वन मंजुल मंजि मंजीरी,
कुञ्ज निकुंजनु जइयो, जइयो जी मधुकरी केरे बन में.....
बल बल बौरि घवरि बल्लीरी,
सुठि सुठि सँटियाँ लगइयो लगइयो जी छरहरी रसियन में.....
पालन में परि पटिया पटीरी,
बल बल बेलिया बनइयो बनइयो जी करि पनित पलन में.....
दए दए उहारन ओ री बधूरी,
सुरभित गंध बसइयो बसइयो जी करि पनित पलन में.....
पनित करना = सगुन हेतु प्रतिज्ञा
हरतरी न फेरइयो = किए पर पानी न फेरना
हरिहरि हरिअ = धीरे से
हरुबरि = मंद-मंद
बिढ़बन = संचय करने
मंजि-मंजीरी = पुष्प गुच्छ, कोपलें पत्र इत्यादि
मधुकरी केरे बन = भौंरो के वन में- मधुवन
बल बल बौरि घवरि बल्लीरी = आम के बौर से युक्त लतिकाएं । बढ़िया से गुम्फित कर गांठ लगाना
पटिया पटीरी =चन्दन की पटनियाँ
बल बल बेलिया = घुमावदार बेलियां
उहारन = आच्छादन
अहीरी = ग्वालन
सखि गाओ री सोहर जी भइने सुअवसर
कुँअर मनोहर जी सुनु अति सुन्दर दूल्हा बनइयो जी हो,
रामा दूल्हा बनइयो जी हो.....
करधन करधर पाटली परिकर अरु बर बर बसन बसइयो जी हो,
रामा बसन बसइयो जी हो.....
कल किरीट कपाला कंकनि माला अरु मनिहर रतन सजइयो जी हो
रामा रतन सजइयो जी हो.....
चारु चँवर हलरई सिरु छतर दसई के अरु हरियर तिलक लगइयो जी हो,
रामा लगन करइयो जी हो.....
झीनी झीनी रतिया ओरी चारू चंदनिया,
हरी भरी मनिया अरु धौरी धौरी मुतिया में मनहर पुरट पुरइयो जी हो
रामा पुरट पुरइयो जी हो.....
सो बंदन वारी बांध दुअरिया देहर देहर रचइयो जी हो
रामा देहर रचइयो जी हो.....
हरिया चन्देरी अहिबेलि घेरी निज पटतर पट पहरियों जी हो
रामा पट पहरइयो जी हो.....
ताराबरी झलहरी झालरिया जननी के भवन ओरमइयो जी हो
रामा भवन ओरमइयो जी हो.....
कोई लुटावे लकोहरनु कोई रुपइया
बाबा भइया ओ मइया अरु बहिनी भुजइया तूम धेनु गैय्यानु लुटइयो जी हो
रामा धेनु गैय्यानु लुटइयो जी हो.....
ढोलु हनि पावत मुख संख पुरावत ऐ री मुरलिया बधावा बजइयो जी हो
रामा मुरलिया बधावा बजइयो जी हो.....
ललना चिरंजीउ हो ललना जुंग जुग जियो कहि कहि हिय हिलगइयो जी हो
रामा हिय हिलगइयो जी हो.....
चरन जुहारी जो करिहि कुँवर त गोदिया भर घोड़िया चढ़इयों जी हो,
रामा घोड़िया चढ़इयों जी हो.....
बादिहि बादल बृन्दु अगासा । झरिहि झर झर बिंदु चहुँ पासा ॥
भर भर कलसि करषि कर देईं । पियत पयस बूझै न पिपासा ॥
बिमनस मुख सो रभस दुरायो । सरस रहस बस बरुन निवासा ॥
कंठ ताल नूपुर दल पूरे । गावहि झनक झनक चौमासा ।
। हरषित जननी दियो निकासा ॥
दरसै छटा पुरुट पट डारे । अरुन सुधाकर करिहि बिलासा ॥
कोमल करज जलज जय माला । पहिरावन मुख लवन ललासा ॥
----- ॥ सोहागी ॥ -----
हरि हरि कुँअरि पौढ़इयो जी करि पनित पलन में,
ऐ री हरतरी न फेरइयो जी करि पनित पलन में,
बिढ़वन मंजुल मंजि मंजीरी,
कुञ्ज निकुंजनु जइयो, जइयो जी मधुकरी केरे बन में.....
बल बल बौरि घवरि बल्लीरी,
सुठि सुठि सँटियाँ लगइयो लगइयो जी छरहरी रसियन में.....
पालन में परि पटिया पटीरी,
बल बल बेलिया बनइयो बनइयो जी करि पनित पलन में.....
दए दए उहारन ओ री बधूरी,
सुरभित गंध बसइयो बसइयो जी करि पनित पलन में.....
पनित करना = सगुन हेतु प्रतिज्ञा
हरतरी न फेरइयो = किए पर पानी न फेरना
हरिहरि हरिअ = धीरे से
हरुबरि = मंद-मंद
बिढ़बन = संचय करने
मंजि-मंजीरी = पुष्प गुच्छ, कोपलें पत्र इत्यादि
मधुकरी केरे बन = भौंरो के वन में- मधुवन
बल बल बौरि घवरि बल्लीरी = आम के बौर से युक्त लतिकाएं । बढ़िया से गुम्फित कर गांठ लगाना
पटिया पटीरी =चन्दन की पटनियाँ
बल बल बेलिया = घुमावदार बेलियां
उहारन = आच्छादन
अहीरी = ग्वालन
wah wah....jai raam ji ki....
ReplyDeletewelcome to my new post-->> http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2016/04/blog-post.html
Wah sundar... padha to kayi baar hai ye chhand pr naam nhi pata tha na bi niyam pata hai par madhur hai :)
ReplyDeleteWah sundar... padha to kayi baar hai ye chhand pr naam nhi pata tha na bi niyam pata hai par madhur hai :)
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