Wednesday, 13 April 2016

----- ॥ गीतिका ॥ -----

----- ॥ गीतिका ॥ -----
हरिहरि हरिअ पौढ़इयो, जो मोरे ललना को पालन में.,
अरु हरुबरि हलरइयो, जी मोरे ललना को पालन में., 

बिढ़वन मंजुल मंजि मंजीरी, 
कुञ्ज निकुंजनु जइयो, जइयो जी मधुकरी केरे बन में..... 

बल बल बौरि घवरि बल्लीरी,
सुठि सुठि सँटियाँ लगइयो लगइयो जी छरहरी रसियन में.....

 पालन में परि पटिया पटीरी, 
बल बल बेलिया बनइयो बनइयो जी मोरे ललना के पालन में..... 

दए दए उहारन ओ री अहीरी, 
सुरभित गंध बसइयो बसइयो जी मोरे ललना के पालन में.....


हरिहरि हरिअ  = धीरे से 
हरुबरि = मंद-मंद 
बिढ़बन = संचय करने 
मंजि-मंजीरी = पुष्प गुच्छ, कोपलें पत्र इत्यादि 
मधुकरी केरे बन = भौंरो के वन में- मधुवन 
बल बल बौरि घवरि बल्लीरी =  आम के बौर से युक्त लतिकाएं । बढ़िया से गुम्फित कर 
पटिया पटीरी =चन्दन की पटनियाँ 
बल बल बेलिया = घुमावदार बेलियां 
उहारन = आच्छादन 
अहीरी = ग्वालन 

हरिहरि हरि तर अइयो कौसल्या के अजिरन में 
अजहुँ न बेर लगइयो कौसल्या के अजिरन में 

दए दए उहारन  दए दए बहीरी  , 
सुरभित गंध बसइयो बसइयो जी कौसल्या के अजिरन में.....

बहीरी = बुहारना 

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 15 अप्रैल 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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