खाटे मीठ स्वादु कौ तरसै सब परिबार |
बिरते तापस रितु बिनहि ढारे आम अचार || १ ||
एक बार परगट पुनि तुम हो जाओ भगवान |
नित भाँवरती धरति के साँसत में हैं प्रान || २||
बड़ी बड़ी मंडि ते भले छोटे छोटे हाट |
यामें ठाटे एकै को यामें सबके ठाट || ३ ||
बड़ी चाकरी ते भली घर का छोटो काम |
स्वामि पदवी देइ के भरपूरे धनधाम || ४||
लघुता मह प्रभुता बसी ए करत महबंद सिद्ध |
लघु कुटीर उद्यम सोंह होता देस समृद्ध || ५ ||
बृहद संग जो होउते लघु कुटीर उद्योग |
महबंद माहि दरसते काम लगे सब लोग || ६ ||
देस तोरा महबन्द कीन्हेसि ए सिद्ध |
लघु कुटीर उद्यम संग रहिता तू समृद्ध || ७ ||
जनता देवनि हार है नेता मंत्री गिद्ध |
अगजग केर महबंद ए कहबत करिता सिद्ध || ८
लाग्यो ऐसो देस म कोरोना को भूँड |
धंदो गयो चूल्हा म बिकण म आगा ढूँड || ९ ||
साजन आपद काल मह करें सबहि कर दान |
दारिद दानए सेवा श्रम धन दानए धनवान || १० ||
तमस काण्ड अतिव घना जीवन है उद्दीप |
सार गहे बिस्वास का जलए आस का दीप || ११ ||
दिन सबहि दुर्दिन भए रे काल राति सब रात |
घट घट भीतर प्रान जल पल पल रीसत जात || १२ ||
ठाढ़ भया अतिपात कौ जबहि प्रान प्रत्यर्थ ||
प्रान सोही होतब तब नहीं प्यारा अर्थ || १3 ||