Saturday 22 May 2021

----- || दोहा -विंशी १० || ----,

 खाटे मीठ स्वादु कौ तरसै सब  परिबार | 

बिरते तापस रितु बिनहि ढारे आम अचार || १ || 


एक बार परगट पुनि तुम हो जाओ भगवान | 

नित भाँवरती धरति के साँसत में हैं प्रान || २|| 


बड़ी बड़ी मंडि ते भले छोटे छोटे हाट | 

यामें ठाटे एकै को यामें सबके ठाट || ३ || 


बड़ी चाकरी ते भली घर का छोटो काम | 

स्वामि पदवी देइ के भरपूरे धनधाम || ४|| 


लघुता मह प्रभुता बसी ए करत महबंद सिद्ध | 

लघु कुटीर उद्यम सोंह होता देस समृद्ध || ५ || 


बृहद संग जो होउते  लघु कुटीर उद्योग | 

महबंद माहि दरसते काम लगे सब लोग || ६ || 


देस तोरा महबन्द कीन्हेसि ए सिद्ध | 

लघु कुटीर उद्यम संग रहिता तू समृद्ध || ७ || 


जनता देवनि हार है नेता मंत्री गिद्ध | 

अगजग केर महबंद ए कहबत करिता सिद्ध || ८ 

लाग्यो ऐसो देस म कोरोना को भूँड | 

धंदो गयो चूल्हा म बिकण म आगा ढूँड || ९ || 


साजन आपद काल मह करें सबहि कर दान | 

दारिद दानए सेवा श्रम धन दानए धनवान || १० || 


तमस काण्ड अतिव घना जीवन है उद्दीप | 

सार गहे बिस्वास का जलए आस का दीप || ११ || 


 दिन सबहि दुर्दिन भए रे काल राति सब रात | 

घट घट भीतर प्रान जल पल पल रीसत जात || १२ || 


ठाढ़ भया अतिपात कौ जबहि प्रान प्रत्यर्थ  || 

प्रान सोही होतब तब नहीं प्यारा अर्थ || १3 || 

भावार्थ : -जब प्राणों लेने के हेतु शत्रु सम्मुख खड़ा हो तब अर्थ प्राणों से प्रिय नहीं होता अर्थात अर्थ से प्राण प्रिय होते हैं || 

काल ए बहुतहि बिकट है समउ ए बहुत कराल | 
छाए रे नैरास केर चारिहुँ पुर घन माल || १४ || 

जिअ कहुँ जिउ ते लाए रे मरिता काहे रोए | 
आवन जावन जग रीति आज कोए कल कोए || १५ || 





2 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (22-05-2021 ) को 'कोई रोटियों से खेलने चला है' (चर्चा अंक 4073) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. लाग्यो ऐसो देस म कोरोना को भूँड |

    धंदो गयो चूल्हा म बिकण म आगा ढूँड

    वर्तमान त्रासदी का सटीक वर्णन

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