रे पलकन्हि पाँखि पखेरे,
घनिघनि अलकनि पिंजर देई कन खाँवहि छिन छिन केरे..,
भोर भईं नभ उड़ि उड़ि जावैं सो उठिते मूँह अँधेरे ..,
पहरनन्हि के परधन पहरैं प्यारे पियहि को हेरें..,
बैसत पुनि छत छत छाजन पै सुरति के मुतिया सकेरे..,
बिचरत बीथि बीथि थकि जावैं सिरु पावत घाउँ घनेरे..,
तापर हेरी हेर न पावैं अरु केहि फेराए न फेरें..,
ढरकत दिन अब निकसिहि चंदा रे हारि कहैं बहुतेरे..,
तबहि बियद गत होत बिहंगे बिहुर चरनन्हि निज डेरे..,
आन बसे साँझी सपन सदन करि नैनन रैन बसेरे..,
फिर मौसमे-गुल खिल खिल के महके
दरख्तों के शाख़सार नए मेहमानों से चहके
घनिघनि अलकनि पिंजर देई कन खाँवहि छिन छिन केरे..,
भोर भईं नभ उड़ि उड़ि जावैं सो उठिते मूँह अँधेरे ..,
पहरनन्हि के परधन पहरैं प्यारे पियहि को हेरें..,
बैसत पुनि छत छत छाजन पै सुरति के मुतिया सकेरे..,
बिचरत बीथि बीथि थकि जावैं सिरु पावत घाउँ घनेरे..,
तापर हेरी हेर न पावैं अरु केहि फेराए न फेरें..,
ढरकत दिन अब निकसिहि चंदा रे हारि कहैं बहुतेरे..,
तबहि बियद गत होत बिहंगे बिहुर चरनन्हि निज डेरे..,
आन बसे साँझी सपन सदन करि नैनन रैन बसेरे..,
फिर मौसमे-गुल खिल खिल के महके
दरख्तों के शाख़सार नए मेहमानों से चहके
लाजवाब लेखन हेतु बधाई व शुभकामनाएं स्वीकार करे।
ReplyDeleteजी धन्यवाद !
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