Tuesday, 14 May 2019

----- ॥पद्म-पद ३३ ॥ -----

                             बुधवार, १५ मई, २०१९                          
-----|| राग-मल्हार || ----

बरखे घटा घनकारे नयन से.., 
घिर घिर आवैं सो पहिले सावन से..,  

पलकन कै सीपियन में मोतियन की बुँदिया..,
लटकत लड़ि पड़ते लट पड़ेउ अलकन से.., 

झरि झरि सो गालन के छाजन पै झूरैं.., 
घडी घडी झड़ी करत लपटे रे अधरन से.., 

चढ़ी चढ़ीवहि सो आँट पे परी परी के गाँठी..,
कंठ सहुँ उतरे रे रसि रसि के रसियन से.., 

निरखत रे छबि प्यारे प्रीतम पिया की.., 
प्रीति सहित मेलत हरिदय के दरपन से.....
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 रे पलकन्हि पाँखि पखेरे 
घनिघनि अलकनि पिंजर देई कन खाँवहि छन छन केरे 

भोर भईं नभ उड़ि उड़ि जावैं सो उठिते मूँह अँधेरे 
पहरनन्हि के परधन पहरैं प्यारे पियहि को हेरें 

बैसत पुनि छत छत छाजन पै सुरति के मुतिया सकेरे 
बिचरत बीथि बीथि थकि जावैं सिरु पावत घाउँ घनेरे 

तापर हेरी हेर न पावैं अरु केहि फेराए न फेरें 
ढरकत दिन अब निकसिहि चंदा रे हारि कहैं बहुतेरे 

तबहि बियद गत होत बिहंगे बिहुर चरनन्हि निज डेरे 
आन बसे साँझी सपन सदन करि नैनन रैन बसेरे 

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