चालक दल उद्घोषिआ उड़ते बियत बिमान।
छन में यह गिर जाएगा .. . . . . . . . . . ॥
:-- नभ में उड्डयन करते विमान के चालक दल ने उद्घोषणा की. . . . केवलदो दंड पश्चात यह विमान गिर जाएगा..... जब मृत्यु निकट हो तब उन दो दंडो (मिनट) में क्या करना चाहिए.....?
साँस सेष दस पाँच बस आए काल जूँ अंत।
करिअब चाहिए कहा तब कहो बुद्धि सुधिवंत ||
:-- दस पाँच साँस शेष हों अंतकाल निकट हो तब हे प्रबुद्ध जनों !उस शेष समय में क्या करना चाहिए.....
श्राप मिला परीक्षित को, दे संतन को संताप l
हे राजन मरि जाएँगे, सप्त दिवस में आप ॥
:--संतो को संतापित करने के कारण एक बार अभिमन्यु पुत्र राजा परीक्षित को श्राप मिला,हे राजन ! अब से ठीक सात दिवस पश्चात तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी |
राज सुपुत कहुँ सौप पुनि दिए सिँहासन त्याज ।
करन कहा चाहिए सोच चलत चले अधिराज ॥
:--राजा परीक्षित ने तत्क्षण सिंहासन त्याग दिया,अपने सुपुत्रो को राज पाट सौंप कर यह विचार करते चल पड़े अब इन सात दिनों मुझे क्या करना चाहिए ।
डग भरते मग कहिअ एक मिलआ सुबुध सुजान l
सुनहु राजन मरनि निकट नहि कछु तुमहि भयान ll
:--डग भरते हुए मार्ग में उनकी एक सुबुद्ध सुविज्ञ से भेंट हुई उसने कहा सुनो राजन ! मृत्यु निकट है तथापि तुम भयभीत नहीं हो ?
जीवन दिवस साति है मम मरनि अजहुँ दूर l
छन भँगुराहि तव जिउना सोच करौ आतूर ॥
:--राजा परीक्षित ने उत्तर दिया ! हे महामंत ! जीवन के सात दिवस शेष है मेरी मृत्यु अभी दूर है मैं तो सात दिवस तक जीवित रहूंगा, भयभीत तुम्हें होना चाहिए क्यों कि जीवन क्षण भंगुर है यह तुम्हे शीघ्रता पूर्वक विचार करना चाहिए क्या जाने कि अगला क्षण तुम्हारी मृत्यु लेकर आए |
आगे नहीं पता...श्रीमद् भगवद्पुराण यही है... जिन्हे जानना है वो सुन लें...
सुन लें...क्योंकि आज नही तो कल हमारी मृत्यु भी सप्ताह के इन्ही सात दिनों मे होने वाली है.....
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