Thursday, 21 February 2013

-----॥ शुचि करमन मानस जग माने ॥ -----

" शुद्ध बुद्धि, मृदु भाषा, सदाचरण, निष्कलंक चरित्र ही मनुष्य
  के वास्तविक वस्त्र हैं..,"

" विद्यमान समय में भी भारत निर्वस्त्र भिक्षुओं का देश है
  पूर्व एवं वर्त्तमान  में केवल  यही  अंतर है कि पूर्व समय
  के  भिक्षुओं  का स्थान  वर्त्तमान  में  नेता-मंत्रियों  ने ले
  लिया है और सदाचरण का त्याग कर दिया है....."

 शुचि करमन मानस जग माने । दुराचारि के अंग उहाने ॥ 
 उहाने = उघाड़े 

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर वहा वहा क्या बात है अद्भुत, सार्थक प्रस्तुरी
    मेरी नई रचना
    खुशबू
    प्रेमविरह

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