" शुद्ध बुद्धि, मृदु भाषा, सदाचरण, निष्कलंक चरित्र ही मनुष्य
के वास्तविक वस्त्र हैं..,"
" विद्यमान समय में भी भारत निर्वस्त्र भिक्षुओं का देश है
पूर्व एवं वर्त्तमान में केवल यही अंतर है कि पूर्व समय
के भिक्षुओं का स्थान वर्त्तमान में नेता-मंत्रियों ने ले
लिया है और सदाचरण का त्याग कर दिया है....."
शुचि करमन मानस जग माने । दुराचारि के अंग उहाने ॥
उहाने = उघाड़े
के वास्तविक वस्त्र हैं..,"
" विद्यमान समय में भी भारत निर्वस्त्र भिक्षुओं का देश है
पूर्व एवं वर्त्तमान में केवल यही अंतर है कि पूर्व समय
के भिक्षुओं का स्थान वर्त्तमान में नेता-मंत्रियों ने ले
लिया है और सदाचरण का त्याग कर दिया है....."
शुचि करमन मानस जग माने । दुराचारि के अंग उहाने ॥
उहाने = उघाड़े
बहुत सुन्दर वहा वहा क्या बात है अद्भुत, सार्थक प्रस्तुरी
ReplyDeleteमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह