----- || राग -मेघमल्हार || -----
आई रे बरखा पवन हिंडोरे,
छनिक छटा दै घट लग घूँघट स्याम घना पट खोरे |
छुद्र घंटिका कटि तट सोहे लाल ललामि हिलोरे ||
सजि नव सपत चाँद सी चमकत, लियो पियहि चितचोरे |
भयो अपलक पलक छबि दरसै लेइ हरिदै हिलोरे |
परसि जूँ पिय त छम छम बोले पाँव परे रमझोरे |
दए भुज हारे रूप निहारे नैन सों नैनन जोरे ||
बूँद बूँद बन तन पै बरसे अधर सुधा रस घोरे |
नेह सनेह की झरी लगाए भिँज्यो रे मन मोरे ||
चरन धरे मन मानस उतरे राजत अधर कपोरे |
गगन सदन सुख सय्या साजी जलज झालरी झौंरे ||
सुहाग भरीं विभाबरि सोभा जो कछु कहौं सो थोरे |
नीझरि सी निसि रिस रिस रीते भयउ रे रतिगर थोरे ||
आई रे बरखा पवन हिंडोरे,
छनिक छटा दै घट लग घूँघट स्याम घना पट खोरे |
छुद्र घंटिका कटि तट सोहे लाल ललामि हिलोरे ||
सजि नव सपत चाँद सी चमकत, लियो पियहि चितचोरे |
भयो अपलक पलक छबि दरसै लेइ हरिदै हिलोरे |
परसि जूँ पिय त छम छम बोले पाँव परे रमझोरे |
दए भुज हारे रूप निहारे नैन सों नैनन जोरे ||
बूँद बूँद बन तन पै बरसे अधर सुधा रस घोरे |
नेह सनेह की झरी लगाए भिँज्यो रे मन मोरे ||
चरन धरे मन मानस उतरे राजत अधर कपोरे |
गगन सदन सुख सय्या साजी जलज झालरी झौंरे ||
सुहाग भरीं विभाबरि सोभा जो कछु कहौं सो थोरे |
नीझरि सी निसि रिस रिस रीते भयउ रे रतिगर थोरे ||