Friday 6 September 2013

----- ॥ शम्मे-रुखसार ॥ -----

 ----- ॥ शम्मे-रुखसार ॥ -----


सुलग  उठी शम्मे-शाम,दमक  दार   रुखसार । 

लर्जिशे सितम जरीफ़ी  ,शबनम  गुले -किनार ॥ 

ऐ शम्म  महबूब  तिरा, इश्क  बहोत   मासूम । 

वस्ले-यार    से    महरुम,   मदफ़ूनो-मखदूम ॥ 

दूर  फलक  की तश्तरी, नजर  आए  महताब । 

झुकी    हुई    नज़रे-नूर,  उठता  हुवा  शबाब ॥ 

रु-ओ -जमाल बे-हिजाब, लब पुर सुर्ख शहाब ।  

हुस्ने-परस्त  हर अख्तर , कहे  अजी आदाब ॥ 

मुस्करा  के   पलक   झुका, वो   ऐसे  शर्माए । 

बेकरार  दिल  का  हाल, हाय  कहा  ना जाए ॥ 

ख्वाबे-शीश   महल   हम,  करे   सपाटे   सैर । 

सरे-बामो-दर  कुछ  यूँ,  गुजरी   शब् बा-ख़ैर ॥ 

दफ्न  दिलबर  की  कब्र  के  ज़र्रे भर आगोश । 

सहर  गहे  सहरा  नशीं, शमा   हुई   खामोश ॥ 


रौनके-फ़रोजा सुब्हे, दम सुभान अल्लाह । 
महरे सुबुके-सोख्ता, नजर आए लिल्लाह ॥ 

मेहमाँ किये चमन चमन, वक्त ने ब-दस्तूर । 
हजूर जश्ने-शादिया, आइयेगा ज़रूर ॥ 

रफ़्ता-रफ़्ता शुरू हुए, रवा-ए रस्मों रवाज । 
शहनाइयाँ गूँज रही, सजे शादिये साज ॥ 

इक वल्लाह वली अहद, इक चश्मे-बद्दूर ॥  
एक फलक की हुस्न परी, एक बिहिस्त का नूर॥  

सुर्ख लिबास में उतरी शोख़ शफ़क यूँ फूल । 
वो हद्दे-पाक मजस्सम  पढ़े निकाह रसूल ॥ 

 दुल्हे मियाँ आफताब, हके-महर मक़बूल । 
 सर करदा-ओ-सरो-पा  कह रहे है कबूल ॥ 

मौजें मचल मचल उठी,मची समंदर धूम । 
नाच  रहे  हैं नाखुदा, किश्तियाँ रही झूम ॥ 


रु-ए-शम्मे रुखसार, चश्मे-नूर बख्तियार । 
लगे हैं शानदार, बाँधे  दुल्हा (नौशाह)सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥ 

नौशा तुर्के चीन, हाय सूरते मिसकीन । 
य़क सर लाखों हसीन , फिर खूब सजा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा  ॥ 

जुल्फ़ स्याही ताब, रगे-अब्र बर्क बेताब ॥ 
पेशाने दो आब, शोख सिराजा चेहरा, उसपे सोणा सेहरा ॥  

बहर लहरिया दार, बुक बखिया बूटीकार । 
तारी ज़री निगार,यूं बुन के बना सेहरा, सोणा सोणा सेहरा  ॥ 

जरबीला तंजेब, ज़र द़ोज ज़मीं जूँ सेब। 
केसरिया तन ज़ेब, लख्ते नूराँ सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥ 

खिले गुल बेशुमार, ज़र द़ोज फस्ले-बहार । 
बाग़े-मुश्के-बार, महका महका सेहरा,सोणा सोणा सेहरा  ॥ 

गुलाबे-नूर नफीस , नरगिस की जुदा बँदीस । 
बदने-बंदनवीस ,  मीन मुस्तफ़ा सेहरा ,सोणा सोणा सेहरा  ॥  

पेंच पेंच परदाज, के जैसे धनक फ़राज । 
नाज़ो नर्म नियाज, सर फेंट फिरा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥ 

तुर्रा फ़र्द फ़राज, फ़र फूँद फ़लक परवाज । 
लिए दिगर अंदाज,नज़र में चढ़ा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥ 

सिल्क गुहर गहबार ,जमुर्रद की क़ज कतार । 
लग रेशमी किनार, ज़ेवर से जड़ा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥  

गुल रौनके आतीस, जिवाहर जोर कसीस । 
मौजे-मिकनातीस, सर खूब जचा सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥ 

नौशाह खड़े दरबार, ले जाने को तैयार । 
दुल्हन मेरे सरकार, हँस के बोला सेहरा, सोणा सोणा सेहरा ॥  











    

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