कंकनि करधन धारि, मूर्धन धर मोर पाख /
बृंदा बन रास बिहारि, मोहित कर चितबन हरे ।।
सुधाधर बदन धार, लावन लोचन लाह लाख /
सत सुर साध सँवार, कान्हा कर वेनु वरे //
घन घर घाघर घार, फल्गुनि हरिद हरी द्राख ।
उरमन उरस उहार, चुनर रंग तरंग तरे //
नयनन पलकन पार, भाल भ्रुकुटी बर बैसाख /
धनु धर सर सर सार, गिरिधर के हरिदे घरे ॥
स्याम मनि सर कार, पट पीतम पटल पराख ।
भूषन कर सिंगार, भूरि भूयस भेष भरे ॥
रुर सुर करनन सार, एक भुज बल कंधन राख ।
एक भुज कंठन घार, राधिका संग हनु धरे //
सुध बुध सकल बिसार, रोचित योगित सह साखि /
पद सथ संगति धार, रयनत छम छम नृत्य करे //
बृंदा बन रास बिहारि, मोहित कर चितबन हरे ।।
सुधाधर बदन धार, लावन लोचन लाह लाख /
सत सुर साध सँवार, कान्हा कर वेनु वरे //
घन घर घाघर घार, फल्गुनि हरिद हरी द्राख ।
उरमन उरस उहार, चुनर रंग तरंग तरे //
नयनन पलकन पार, भाल भ्रुकुटी बर बैसाख /
धनु धर सर सर सार, गिरिधर के हरिदे घरे ॥
स्याम मनि सर कार, पट पीतम पटल पराख ।
भूषन कर सिंगार, भूरि भूयस भेष भरे ॥
रुर सुर करनन सार, एक भुज बल कंधन राख ।
एक भुज कंठन घार, राधिका संग हनु धरे //
सुध बुध सकल बिसार, रोचित योगित सह साखि /
पद सथ संगति धार, रयनत छम छम नृत्य करे //
ॐ भगवते वासुदेवाय नम:
ReplyDeletelatest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।