Monday, 26 August 2013

-----॥सुठि-सोरठे ॥ -----

कंकनि करधन धारि, मूर्धन धर मोर पाख /
बृंदा बन रास बिहारि, मोहित कर चितबन हरे ।। 

सुधाधर बदन धार, लावन लोचन लाह लाख /
सत सुर साध सँवार, कान्हा कर वेनु वरे //

घन घर घाघर घार, फल्गुनि हरिद हरी द्राख । 
उरमन उरस उहार, चुनर रंग तरंग तरे //

नयनन पलकन पार, भाल भ्रुकुटी बर बैसाख /
धनु धर सर सर सार, गिरिधर के हरिदे घरे ॥ 

स्याम मनि सर कार, पट पीतम पटल पराख । 
भूषन कर सिंगार, भूरि भूयस भेष भरे ॥  

रुर सुर करनन सार, एक भुज बल कंधन राख । 
एक भुज कंठन घार, राधिका संग हनु धरे  //

सुध बुध सकल बिसार, रोचित योगित सह साखि /
पद सथ संगति धार, रयनत छम छम नृत्य करे //

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