Saturday, 13 October 2012

----- ।। शपथ के नाना पथ ।। -----

अग्नि को साक्षी मान कर वर पाणि ग्रहण करता है..,

न्यायालय में अपराधी-निर्पराधी, दोषी-निर्दोष,वादी-प्रतिवादी
स्वधर्म ग्रन्थ को साक्षी मान शपथ लेकर अपना पक्ष रखते हैं..,

मैं.....शपथ लेता हूँ....

शासन-प्रशासन के सेवक-प्रतिनिधि किसको साक्षी मान कर शपथ लेते हैं,
राष्ट्रपति को, प्रधानमन्त्री को, मुख्यमंत्री को, पक्ष-विपक्ष के दलाध्यक्षों को,
अथवा अग्नि,जल, वायु, आकाश, भूमि को.., ईश्वर की परिभाषा किसे कहेंगे ?

स्पष्ट नहीं है.....



2 comments:

  1. बहुत सुन्दर ||
    बधाईयाँ ||

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  2. सार्थक पोस्ट |

    इस समूहिक ब्लॉग में आए और हमसे जुड़ें :- काव्य का संसार

    यहाँ भी आयें:- ओ कलम !!

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