Monday, 6 March 2017

----- ॥ सेंदुरी रंग -धूरि ॥ -----


उनिहौ रे सेंदुरी ऐ री रंग धूरि 
पलहि उत्पलव नील नलिन नव जिमि जलहि दीप लव रूरि । 
तरु तमाल दए तिलक भाल तव तिमि सोहिहि छबि अति भूरि ॥ 

बिभौ बदन घन स्याम सुन्दर सिरौपर पँखी मयूरि । 
पहिरै सुरुचित पीत झगुरिया धरि मधुराधर बाँसूरि  ॥ 

बजति भली करधन छली करी कर कंकनि सँग केयूरि ॥ 
कल धुनि करत भाँवरि भरत जबु थिरकत चरन नुपूरि ॥ 

घुटरु घटि बँट काँछ कटि तट पटिअरि धूपटि अपूरि । 
गिरियों लटपटि त उठि कपटि कह लपटि आध अधूरि ॥ 

पाउँ परस करि लीज्यो दरस न त इन्ह कर दरसन दूरि ॥ 

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