Friday, 3 March 2017

----- ॥ रंग -धूरि ॥ -----


उरियो नहि सेंदुरी ऐ री रंग धूरि 
कुञ्ज गलिअ  कर कुसुम कलिअ यहु अजहूँ न पंखि अपूरि  ॥ 
कहइ बिसुर बल बल गल बहियाँ  ओहि जोरे अंज अँजूरि ॥ 

अंक ही अंक गहि पलुहाई मैं कल परसोंहि अँकूरि  ॥ 
एहि मधुबन रे मोरे बाबुल इहँ बिहरिहु धरे अँगूरि ॥ 

चरनहि नुपूर सिरु बर बेनी, कानन्हि कंचन्हि फूरि ॥ 
बोलहि मिठु जिमि चाँचरि बोलै अरु तुम अति करर करूरि ॥ 

निरखहि नीरज नयन झरोखे तुम रंज न देहु बिंदूरि ॥ 
दय घटा घन छटा मन मोही न त दमकिहि दमक बिजूरि ॥ 

मन चन्दन मुख मनियरचन्दा बालिपन बिहुर नहि भूरि ॥ 
फेरी भँवर कतहुँ फिरजइयो इहँ अइयो कबहुँ बहूरि ॥ 


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