Monday, 17 September 2012

----- ।। विश्व की वास्विकता ।। -----

वर्तमान में  हम दैनंदिन  अर्थगत वैश्विक मंदी  से जूझ  रहे हैं,
भारत का लोकतंत्र  उसकी  वास्तविकता को परिभाषित  नहीं
करता, अन्य राष्ट्रों के जनसामान्य को भी अपने जन संचालन
तंत्र  एवं उसके  संवैधानिक स्वरूप का आकलन  एवं समुचित
समीक्षा की सतत आवश्यकता है.....



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