"भौतिक जीवन का यथार्त स्वरूप कल्पनाओं पर ही आधारित है..,"
" लक्ष्य की प्राप्ति हो अथवा न हो, लक्ष्य की कल्पना प्रस्तर प्रस्तावित
कर उसके यथार्थतस मार्ग को प्रशस्त करती है..,"
" यदी पूर्वजों ने अंग्रजी साम्राज्य के विरुद्ध स्वातंत्र्य कल्पन नहीं किया
होता तो उनके द्वारा दर्शित मार्ग से प्रस्थान कर स्वतंत्रता समर के सेनानी
स्वतन्त्र भारत के स्वप्न को साकार नहीं कर पाते.....
" लक्ष्य की प्राप्ति हो अथवा न हो, लक्ष्य की कल्पना प्रस्तर प्रस्तावित
कर उसके यथार्थतस मार्ग को प्रशस्त करती है..,"
" यदी पूर्वजों ने अंग्रजी साम्राज्य के विरुद्ध स्वातंत्र्य कल्पन नहीं किया
होता तो उनके द्वारा दर्शित मार्ग से प्रस्थान कर स्वतंत्रता समर के सेनानी
स्वतन्त्र भारत के स्वप्न को साकार नहीं कर पाते.....
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