'नेता-मंत्री' इस दया के पात्र हैं.....?????
'अदेशकाले यद्दानं अपात्रेभ्यश्च दीयते'
-----।। श्री मद्भागवत गीता ।। -----
अर्थात कुदेश में, कुसमय में एवं कुपात्र को दिया गया दान तामस
होता है..,
'अपात्रे दीयते दानं दातारं नरकं नयेत्'
अर्थात अपात्र को दिया हुवा दान दानी को नरक में ले जाता है
दान सदैव योग्य काल, योग्य पात्र, तथा योग्य स्थान देख-विचार
कर ही करना चाहिए यदि योग्य पात्र नहीं हो तो दान नहीं करना
चाहिए चाहे वह 'धन-दान' हो या 'मत-दान'
यथा प्लवेनौपलेन निमज्जत्युदके तरन् ।
तथा निमज्जतो धस्तादज्ञौ दातृप्रतिच्छकौ ।।
अर्थात जिस प्रकार पानी में पत्थर की नाव से तैरता हवा व्यक्ति
उस नाव के साथ ही डूब जाता है, उसी प्रकार मूर्ख दानग्रहिता
तथा दानकर्त्ता -- दोनों नरक में डूबते हैं.....
नरक = दुःख, कष्ट, अभाव, निर्धनता, महंगाई, भ्रष्टाचार,घोटाला
आदि आदि का संसार.....
आपकी ये पोस्ट गंभीर विचारणीय है और आज के मंत्री-संत्री के लिए एक तमाचा ...
ReplyDeleteसौच समझ कर दिया गया मत अपने देश और देशवासियों के भविष्य का निर्माण करता है अन्यथा नरक का।
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
विचारणीय पोस्ट!
ReplyDelete