चँवर चुनरिया लाल, घर घेर घघरिया घाल ।
धनब दुअरिया ढाल, बरखा छम छम नृत्य करि ।१ /
लौवन यौवन योग , तरसत दृग दरसत लोग ।
रस सिंगार बियोग , थाई रति रस भाउ भरि ।२।
बरखा छम छम .....
पोइ पदुम पद पोर, नीर नूपुर पूर नोर ।
कल चंचल चित चोर,थिरकत तिलकत धरनि तरि।३।
बरखा छम छम .....
घनकारे घन कोर, घन काल घटा घन घोर,
घनक दुंदुभी ढोर, घनक घनक घन धवनि धरि ।४।
बरखा छम छम .....
धारा बाहिक धार, सत सुर सर सागर सार ।
तरनि तरंगित तार, रय लयधी गत बाँधि लरि ।५ /
बरखा छम छम .....
धनब दुअरिया ढाल, बरखा छम छम नृत्य करि ।१ /
लौवन यौवन योग , तरसत दृग दरसत लोग ।
रस सिंगार बियोग , थाई रति रस भाउ भरि ।२।
बरखा छम छम .....
पोइ पदुम पद पोर, नीर नूपुर पूर नोर ।
कल चंचल चित चोर,थिरकत तिलकत धरनि तरि।३।
बरखा छम छम .....
घनकारे घन कोर, घन काल घटा घन घोर,
घनक दुंदुभी ढोर, घनक घनक घन धवनि धरि ।४।
बरखा छम छम .....
धारा बाहिक धार, सत सुर सर सागर सार ।
तरनि तरंगित तार, रय लयधी गत बाँधि लरि ।५ /
बरखा छम छम .....
आपकी यह रचना कल मंगलवार (16-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण : नारी विशेष पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeletesundar shabdon mein piroya sundar sortha
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