Monday 11 June 2018

----- ॥ दोहा-पद 14॥ -----,

----- || राग-पहाड़ी || -----

नीर भरी निरझरनी, 
पहाड़ानु छोड़ चली.., 
डब डब अँखियन ते लखे, 
बाबुल की प्यारी गली..,

नैनन की नैया पलक पतवारा, 

हरियारे आँचल में अँसुअन की धारा.., 
 दोई कठारन दोई कहारा, 
दोई कहारन पे.., 
अन्न धन की धानी ले के, 
दो तीर्थों को जोड़ चली.., 

ये साधु संतों की कही बानी, 
नारी नदी तेरी एक कहानी.., 
आँचल में प्रीति पलकों में पानी, 
पलकों में पानी लिए..,  
नई प्रेम कहानि कहने, 
देखो सागर की रानी चली..... 

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