Wednesday, 22 August 2012

-----||सर्व विकार स्वीकार=सरकार।।-----

 मुझको ख़बर है तेरी क़त-ए-कलम कालिख की..,
 इस कारकरदा का तू भी तो इक किरदार है..,

कदे-कतार का सजदा करें या के तोहमत दें..,
गुल दस्त-ब-दस्त हैं और कफे-कारबार है.....


" कूटकोण एवं कूटकारों द्वारा लोकतंत्र एव लोकनीति का संचालन नहीं होता,
  इससे  केवल  'राजतंत्र'  व  'राजनीति'  ही  संचालित  होती हैं; राजनीति में
  साम दाम दंड भेद का प्रयोग कर एक शक्तिशाली दुसरे शक्तिशाली का दमन
  का 'लोकप्रिय' नियम है....."
     

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