"ज्ञान रूपी धारा, विशुद्ध चरित्र के रज पर सतत प्रवाहित होती है"
"अशुद्धता का पाषाण प्रवाह को बाँध लेता है प्रवाहित नीर एवं ज्ञान सदैव शुद्ध रहता है"
" मनुष्य एक शक्तिशाली प्राणी है,प्रकृति के चित्रपटल पर वही
दृश्य उभरता है जिसका वह दर्शनाभिलाषी है"
" अर्धांगनी प्राय: आयु पुछ कर आती है किन्तु मृत्यु आयु पुछ
कर नहीं आती"
"अशुद्धता का पाषाण प्रवाह को बाँध लेता है प्रवाहित नीर एवं ज्ञान सदैव शुद्ध रहता है"
" मनुष्य एक शक्तिशाली प्राणी है,प्रकृति के चित्रपटल पर वही
दृश्य उभरता है जिसका वह दर्शनाभिलाषी है"
" अर्धांगनी प्राय: आयु पुछ कर आती है किन्तु मृत्यु आयु पुछ
कर नहीं आती"
सुन्दरता से परिपूर्ण ज्ञान गंगा
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