Thursday 2 August 2012

----- || SVATANTRA - SVARTANTRA || -----

                                                                                       








             ----- ।।  स्वतन्त्र - स्वरतंत्र  ।। -----

" स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत का  शासन  प्रबंध  यथानुक्रम उन दलों 
  के अधीन रहा जिनको  राम-रहीम अथवा  धर्मनिरपेक्ष  जैसे  शब्दों  से
  कोई सरोकार नहीं रहा, महात्मा गांधी की विचारधारा इनके शब्दकोष
  में विलोपित है.."  


 SATURDAY, AUG 04, 2012                                                    

" विद्यमान संवैधानिक संकलन की संरचना संसद निर्माण के पूर्व हुई थी;
  संसद, संसदीय व्यवस्था का एक संकल्पित अंश है.."



" मार्ग सदैव एक होता है, मनुष्य का चरण-आचरण उसके लक्ष्य की दिशा
  निर्धारित करता है.." 


SUN/MON, AUG 05/O6, 2012                                                            

भारतीय एतिहासिक एवं प्रोगेतिहासिक शासकों ने तात्कालिक  युगपुरुषों 
का पूजन प्रदर्शन कर सदैव वैदेशिक शक्तियों को आकर्षित किया वैदेशिक
शक्तियों ने कला संस्कृति एवं व्यापार की लुभावनी छवि प्रस्तुत की,अंग्रेज
सर्वाधिक चतुर प्रमाणित हुवे जिन्होंने दीर्घावधि पर्यंत भारत को बांधे रखा....." 

एक विधि स्नातक युवक की जीवन धारा  को  लौह  पथ गामिनी के अंतर
प्रकरण ने परिवर्तित कर दिया नाम था मोहन दास करम चंद गांधी, सत्य 
अहिंसा अनशन धरना प्रदर्शन का दक्षिण अफ्रिका में सफलतम प्रयोग कर
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के भवन की वास्तविक नींव रखी.....

श्रीराम चन्द्र ने मात्र एकतीस तीरो  से  रावण  का  वध  कर दिया इन्हीं के
जीवन चरित्र से प्रेरणा ले  केवल  मात्र एकतीस वर्षों के सक्रीय आन्दोलनों
के फलीभूत भारत को अंग्रेजों के बंधन से मुक्त कराया.....               


छलावे के नीर पर नेंतिकता की नौकाएं विचरित नहीं होती..''      


स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात  वेगमय  शासन  शक्ति  के सह लेखनियाँ सतत
प्रवाहित होती रही, इस ज्ञानाभाव के कि प्रवाह नल है, नलिका है,नाला है
नदि है, अथवा गंगा है.....'' 


मुझ संकाश नहु सज्जन, दुर्जन के विचार ।
मुझ नीकाश नहु दुर्जन, सज्जन का आचार ।।.....( 08 अगस्त ) 



गुरूवार, 09 अगस्त, 2012                                                           

विधि का विषय विशेष, विशिष्ट वाग्विदग्ध एवं वाग्विभव हेतु है.....

जिनसे एक तुच्छ सिंहासन नहीं छुटता उनसे ये जीवन कैसे छुटेगा.....      

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    श्रावणीपर्व और रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएं!

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