Tuesday, 18 June 2013

----- ॥ दोहा-पद ॥ -----

 छाप तिलक --- हजरत अमीर खुसरो 

रूप संपद लै लीन्ही रे! सारी रैना जगाई के..,
भए धनी मानी मोरे साँवरिया.., 
धनवारी कह कर चीन्ही रे! सारी रैना जगाई के.., 
हिरनई कंठी संकास कलईयाँ.., 
नैन तिजूरी धरि तीन्ही रे! सारी रैना जगाई के.., 
हाय रे हरजाई सरूप सोहागा.., 
हिरन सुरंगिनी कीन्ही रे! सारी रैना जगाई के..., 
लवनाई जोबन, लड़ लड़ मोतिया.., 
लड़बावरिया ने छीन्ही रे ! सारी रैना जगाई के..... 

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