----- || राग- केदार || -----
बुए बिआ पिय पेम अँकूरे
बुए बिआ पिय पेम अँकूरे
जो दिन तुम्हरे संग बिरुझे अजहुँ सो दिन गयउ रे भूरे || १ ||
सांझ भोर करि उड़ि उड़ि जावै पलपल पल छन पंख अपूरे ||
जो दुःख सों सुख मुख बिरुझायो अजहुँ त अखियन सों भए दूरे || २ ||
जो सुख सों दुःख मुख मलिनायो रे अजहुँ त सो सुख भए धूरे ||
हरिदय देस नैनन फुर बारि बिरवा प्रतीति फूर प्रफूरे || ३ ||
डोरि देइ पिय पलक हिंडोरे पुलकित प्रीति डारि पर झूरे ||
सांझ भोर करि उड़ि उड़ि जावै पलपल पल छन पंख अपूरे ||
जो दुःख सों सुख मुख बिरुझायो अजहुँ त अखियन सों भए दूरे || २ ||
जो सुख सों दुःख मुख मलिनायो रे अजहुँ त सो सुख भए धूरे ||
हरिदय देस नैनन फुर बारि बिरवा प्रतीति फूर प्रफूरे || ३ ||
डोरि देइ पिय पलक हिंडोरे पुलकित प्रीति डारि पर झूरे ||
हमरे बिन तुम आधे अधबर तुहरे बिन हम आध अधूरे || ४ ||
कहत डरपत मन रे साजना बैरि बिरहा बहुर न बहूरे ||
सुनहु पिया बर प्रीति ए साँची कहँ सौं लई तुहरे सहूँरे || ५ ||
कहत डरपत मन रे साजना बैरि बिरहा बहुर न बहूरे ||
सुनहु पिया बर प्रीति ए साँची कहँ सौं लई तुहरे सहूँरे || ५ ||
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