'' भ्रष्टाचार के अपराध में दंडारोपण किस प्रकार होना चाहिए..??""
" चूँकि आर्थिक भ्रष्टाचार के अपराध का सम्बन्ध सीधे आर्थिक दुराचरण से है अत: प्रथमत:
भ्रष्टाचार के आरोपी पर दोषपूर्ण अर्जन की परिष्टि उपरांत विधिविरुद्ध एवं अवैधानिक
संपत्ति का अधिग्रहण अथवा 'जब्तीकरण' की कार्यवाही का अनुकरण होना चाहिए, किन्तु
जहां दोषपूर्ण अर्जन किसी पद्विशेष के समुन्नयन हेतु या अन्य सदोष समुन्नयन के हेतुक
है वहां ऐसे पद्विशेष का समुचित परिक्षणोपरांत पदच्युत अथवा तत्संबंधित कार्यवाही हेतु
अग्रसर होना चाहिए.."
यदि अपराधी ने सदोष समुन्नयन का प्रयोजन स्वयं अथवा अन्य के
हेतु किया है तब इसकी क्षतिपूर्ति सह समायोजन अपराधी के वैध अर्जन से होना चाहिए.."
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" जहां प्रकट स्वरूप दोषयुक्त अभिलाभ सुनिश्चित हो,
वहां निश्चय ही दोषयुक्त हानि होगी.."
" जहां न्यूनतम सदोष अभिलाभ हो..,
वहां उच्चतम सदोष हानि हो सकती है.."
" चूँकि आर्थिक भ्रष्टाचार के अपराध का सम्बन्ध सीधे आर्थिक दुराचरण से है अत: प्रथमत:
भ्रष्टाचार के आरोपी पर दोषपूर्ण अर्जन की परिष्टि उपरांत विधिविरुद्ध एवं अवैधानिक
संपत्ति का अधिग्रहण अथवा 'जब्तीकरण' की कार्यवाही का अनुकरण होना चाहिए, किन्तु
जहां दोषपूर्ण अर्जन किसी पद्विशेष के समुन्नयन हेतु या अन्य सदोष समुन्नयन के हेतुक
है वहां ऐसे पद्विशेष का समुचित परिक्षणोपरांत पदच्युत अथवा तत्संबंधित कार्यवाही हेतु
अग्रसर होना चाहिए.."
यदि अपराधी ने सदोष समुन्नयन का प्रयोजन स्वयं अथवा अन्य के
हेतु किया है तब इसकी क्षतिपूर्ति सह समायोजन अपराधी के वैध अर्जन से होना चाहिए.."
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" जहां प्रकट स्वरूप दोषयुक्त अभिलाभ सुनिश्चित हो,
वहां निश्चय ही दोषयुक्त हानि होगी.."
" जहां न्यूनतम सदोष अभिलाभ हो..,
वहां उच्चतम सदोष हानि हो सकती है.."
" जहां उच्चतम सदोष अभिलाभ हो..,
वहां न्यूनतम सदोष हानि होगी.."
" जहां न्यूनतम अथवा उच्चतम सदोष अभिलाभ हो..,
वहां न्यूनतम अथवा उच्चतम सदोष हानि होगी.."
अत: दंडारोपण भी अनुपातिक होना चाहिए.."
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" यदि अपराधी ने सदोष अर्जन का प्रयोजन दोहरे सदोष अर्जन हेतु किया है
तब ऐसे दोहरे सदोष अभिलाभ का अधिग्रहण अथवा 'जब्तीकरण' होना
चाहिए किन्तु यदि ऐसे सदोष अर्जन का प्रयोजन के कार्यत: अपराधी को
कोई हानि हो तब ऐसी हानि की क्षतिपूर्ति उसके वैध अर्जन से समायोजित
होगी कारण की यह सदोष अर्जन हानिवाहक की संपत्ति थी व प्रयोजन हानि-
वाहक की अनुज्ञा के रहित था.."
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"Loksevaa Jansaamaanya Ke Hetu Paropkaari Kritya Hai, Na Ki Vyaktik Vritti....."
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