प्रश्न है भ्रष्टाचार का परिमेय क्या है..??
' भ्रष्टाचार निम्नाकार में हो सकता है:--
व्यक्तिक,
पारिवारिक,
सामाजिक,
राष्ट्रिक,
अंतर्राष्ट्रिक.."
" व्यक्तिक भ्रष्टाचार का दृष्टांत:-- अन्यायपूर्ण कृत्य के कर्मत: स्वीकृति सह सहमति.."
" पारिवारिक भ्रष्टाचार के दृष्टांत:-- पारिवारिक शोषण जैसे की पुत्री की अपेक्षा पुत्र को
अथवा पुत्र की अपेक्षा पुत्री को अधिकाधिक अधिकार
सम्पन्न करना.."
" सामाजिक भ्रष्टाचार का दृष्टांत:-- सामाजिक आडम्बर जैसे वैवाहिक ढाट-बाट.."
" राष्ट्रिक, अंतर्राष्ट्रिक भ्रष्टाचार के दृष्टांत:-- अनावश्यक उत्खनन, दमनपूर्ण आक्रमण.."
" उपरोक्त में कोई भ्रष्टाचारिक कृत्य जैसे ही संवैधानिक अधिनियम के उपबंधों के अधीन
न्यायिक शरण में होता है, भ्रष्टाचार का अपराध कहलाता है.."
" विचारण पश्चात आचारणीत अपराध धृष्ट प्रकृति का होता है..,
विचारण पूर्व आचारणीत अपराध अधृष्ट प्रकृति का होता है.."
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