" राष्ट्र के सुसंचालन हेतु राष्ट्र इकाई द्रारा आवश्यक सैद्धांतिक व मौलिक
नीति-नियमों के निर्माण की क्रमबद्ध सूची , संविधान है .."
" भारतीय संविधान के मुख्यत: पांच अंग है:--
कार्यपालिका
विधायिका,
न्यायपालिका,
बाह्य सुरक्षा उपतंत्र अथवा सैन्य उपतंत्र,
आतंरिक सुरक्षा उपतंत्र,
बाह्य एवं आतंरिक सुरक्षा उपतंत्र कार्यपालिका एवं विधायिका के अधीन है.."
" जहां न्यायपालिका में न्याय अयोग व्यवहृत होने लगे,
वहां संविधान निष्फल होने लगता है एवं लोकतंत्र की
असफलता का आरम्भ हो जाता है....."
" भारत सहित अधिसंख्य राष्ट्रों के लोकतंत्र में संसद या संसद सदृश्य संस्था
जनता के मताधिकार के प्रयोग पर अवलंबित है, संसद अस्तित्वहिन होगी
यदि राष्ट्र के नागरिक मत प्रयोग न करें; कार्यपालिका, विधायिका, न्याय -
पालिका की प्रकल्पना संसद के अनस्तित्व पर अनुलंबित है..,
मताधिकार संसद के समर्थन के सादृश्य है;
संसद का समर्थन, संविधान व लोकतंत्र का समर्थन है किन्तु निर्वाचित जन-
प्रतिनिधियों को ऐसा कोई प्राप्ताधिकार नहीं है जिससे वह संसद, संविधान ,
या लोकतंत्र का समर्थन कर सकें..,
स्पष्टीकरण 1:--ऐसे प्रत्येक भारतीय मतदाता निर्वाचित जनप्रतिनिधियों
पर टिपण्णी का अधिकार सुरक्षित करता है..,
स्पष्टीकरण 2:--मतदान की अनिवार्यता का आशय संविधान का अनिवार्य
समर्थन से है, संविधान तदर्थ निर्दोष नागरिकों के प्राण तक
क्यों न हर ले, संसद मताधिकार को कर्त्तव्य परक विधेयक
के रूप में निर्मित कर सकती है, जिसके परिपालन में बाह्य
व आतंरिक सुरक्षा का बलपूर्वक दुरुपयोग कर सकती है.."
" भारत सहित अधिसंख्य राष्ट्रों के लोकतंत्र में संसद या संसद सदृश्य संस्था
जनता के मताधिकार के प्रयोग पर अवलंबित है, संसद अस्तित्वहिन होगी
यदि राष्ट्र के नागरिक मत प्रयोग न करें; कार्यपालिका, विधायिका, न्याय -
पालिका की प्रकल्पना संसद के अनस्तित्व पर अनुलंबित है..,
मताधिकार संसद के समर्थन के सादृश्य है;
संसद का समर्थन, संविधान व लोकतंत्र का समर्थन है किन्तु निर्वाचित जन-
प्रतिनिधियों को ऐसा कोई प्राप्ताधिकार नहीं है जिससे वह संसद, संविधान ,
या लोकतंत्र का समर्थन कर सकें..,
स्पष्टीकरण 1:--ऐसे प्रत्येक भारतीय मतदाता निर्वाचित जनप्रतिनिधियों
पर टिपण्णी का अधिकार सुरक्षित करता है..,
स्पष्टीकरण 2:--मतदान की अनिवार्यता का आशय संविधान का अनिवार्य
समर्थन से है, संविधान तदर्थ निर्दोष नागरिकों के प्राण तक
क्यों न हर ले, संसद मताधिकार को कर्त्तव्य परक विधेयक
के रूप में निर्मित कर सकती है, जिसके परिपालन में बाह्य
व आतंरिक सुरक्षा का बलपूर्वक दुरुपयोग कर सकती है.."
'' भारतीय संविधान में जनता प्रत्याशी के सह अप्रत्याशित रूप से दल का
चुनाव भी करती है जबकि संविधान में दल के चुनाव का प्रावधान ही नहीं है.....''
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