प्रश्न यह है की धर्म क्या है..??
" ईश्वर की उपासना से सम्बंधित पारलौकिक
सुख प्राप्ति का कर्मण, धर्म है.."
" चित एवं अचित के सृष्ट सत्तत्व में सृष्टि
के सत्त्व की सेव्यस्तुति का स्तोम , उपासना है.."
" प्राणिमात्र में ईश्वर का अंश होता है,
प्राणिमात्र की सेवा धर्म है.."
" उपासना सम्बंधित कर्त्तव्य विभिन्न धर्मों
में भिन्न होता है.."
" धर्म, मानव जाति का मूलगुण निश्चित कर उसकी
प्रकृति सुनिश्चित करता है.."
" धर्म, मानव जाति का मूलगुण निश्चित कर उसकी
प्रकृति सुनिश्चित करता है.."
वास्तव में " धर्म कदाचित सुविचित सुविचारों के
संचयन का स्थापित संग्राहलय है, जिसके
अनुगमन, अनुशरण के परायण का कर्मण
व्यक्ति, परिवार, समष्टि, समाज व राष्ट्र करता है.."
" विचारों की शिथिलता व हानि
धर्म की शिथिलता व हानि है.."
" विचारों की शिथिलता व हानि
धर्म की शिथिलता व हानि है.."
" यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभुत्थानम धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम
धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे....."
-----11 श्री मद्भवद्गिता 11 -----
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