THURSDAY, JUNE 14, 2012
"धर्म द्विशाब्दिक युग्म है :--
धर्म+निरपेक्ष
धर्म = धार्मिक विचार विशेष, विचारों का संकलन
निरपेक्ष = अपेक्षा रहित, उदासीन
धर्मनिरपेक्ष शब्द-युग्म का भाव = धर्म विशेष के विचारों की अपेक्षा से रहित
अर्थात सर्वधर्म सद विचारों से युक्त.."
" स्वजाति एवं स्वधर्माचरण के परायण का निर्वहन के सह पर-
जाति व परधर्म के प्रति आदर व निरापदवलंबन ही धर्म -
निरपेक्षता है....."
SUNDAY, JUNE 17 2012
" दया में ही धर्म निहित है ....."
" स एष एक एकवृदेक एव....."
----- ।। अथर्ववेद ।। ----- dr.neet107@gmail.com
"धर्म द्विशाब्दिक युग्म है :--
धर्म+निरपेक्ष
धर्म = धार्मिक विचार विशेष, विचारों का संकलन
निरपेक्ष = अपेक्षा रहित, उदासीन
धर्मनिरपेक्ष शब्द-युग्म का भाव = धर्म विशेष के विचारों की अपेक्षा से रहित
अर्थात सर्वधर्म सद विचारों से युक्त.."
" स्वजाति एवं स्वधर्माचरण के परायण का निर्वहन के सह पर-
जाति व परधर्म के प्रति आदर व निरापदवलंबन ही धर्म -
निरपेक्षता है....."
SUNDAY, JUNE 17 2012
" दया में ही धर्म निहित है ....."
" स एष एक एकवृदेक एव....."
----- ।। अथर्ववेद ।। ----- dr.neet107@gmail.com
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