Happy .....:)
" जीवों का विघटन ही सत्य है..,
जीवों का संघटन ही ब्रम्ह है..,
-----सत्यम शिवम् सुन्दरम-----
" घटक ---> संघटन ---> संवर्द्धन ---> विघटन ---> घटन.."
" जीव, निर्जीव का संघटक है..,
निर्जीव, जीव का विघटक है.."
" जीव यन्त्र मात्र है,
आत्मा, जीव में सत्तत्त्व स्वरूप स्थित है.."
" आत्मा, देह में संघटन स्वरूप है..,
आत्मा = वायु + आकाश.."
" धर्मकर्म के गुण आत्मतत्त्व की प्रकृति को निर्धारित करते है..,
धनकर्म के गण आत्मतत्त्व की दुष्कृति को निर्धारित करते है.."
" पृथ्वी + अग्नि + जल + वायु + आकाश (अर्थात शुन्य ) = देह..,
पृथ्वी * अग्नि * जल * वायु * आकाश (अर्थात शुन्य ) = शुन्य अर्थात आकाश अर्थात मोक्ष....."
" जीवों का विघटन ही सत्य है..,
जीवों का संघटन ही ब्रम्ह है..,
जीवों का संवर्द्धन ही विष्णु है..,
जीवों का घटक(घटन) शिव है.."-----सत्यम शिवम् सुन्दरम-----
" अर्थात जीवनांत सत्य है किन्तु शिव जीवंत है, यही सुन्दर है.."
" घटक ---> संघटन ---> संवर्द्धन ---> विघटन ---> घटन.."
" जीव, निर्जीव का संघटक है..,
निर्जीव, जीव का विघटक है.."
" जीव यन्त्र मात्र है,
आत्मा, जीव में सत्तत्त्व स्वरूप स्थित है.."
" आत्मा, देह में संघटन स्वरूप है..,
मृत्यु के पश्चात यह विघटित हो द्रव्य की आकृति ग्रहण करती है..,
देह = पृथ्वी + अग्नि + जल..,आत्मा = वायु + आकाश.."
" धर्मकर्म के गुण आत्मतत्त्व की प्रकृति को निर्धारित करते है..,
धनकर्म के गण आत्मतत्त्व की दुष्कृति को निर्धारित करते है.."
" पृथ्वी + अग्नि + जल + वायु + आकाश (अर्थात शुन्य ) = देह..,
पृथ्वी * अग्नि * जल * वायु * आकाश (अर्थात शुन्य ) = शुन्य अर्थात आकाश अर्थात मोक्ष....."
" Jaki Rahi Bhaavanaa Jaesi..,
ReplyDeletePrabhu Murat Dekhi Tin Taesi.."
" Prabhu Anant Prabhu Kathaa Anantaa....."
-----TULASI DAAS-----
Viroddhri Karmanya Gyaan Ke Vashibhut Sadaev Chadm Avaguno Ka
ReplyDeleteAvalokan Karataa Hai,
Viroddhri Akarmanya Agyaan Ke Vashibhut Sadaev Chadm Guno Ki
Gananaa Karataa Hai.....