Saturday, 19 May 2018

----- || राग बैरागी भैरवी || -----

----- || राग बैरागी भैरवी || -----

जगलग ज्योत जगाओ रे, 
चहुँपुर निबिर अंधियार भयो अब रैनी चरन बहुराओ.., 

पंथ कुपंथ मोहि न बूझे, चलेउ कहाँ अजहुँ न सूझे, 
रबि सारथी नियराओ.., 

धरिअ करतल प्रभा प्रसंगा उतरो हे देव रथ संगा.., 
दिसि-बिदिसि अरुनाओ..... 


दिसि -बिदिसि = दिशा व्  दिशाओं के कोण 

No comments:

Post a Comment