----- || राग बैरागी भैरवी || -----
जगलग ज्योत जगाओ रे,
चहुँपुर निबिर अंधियार भयो अब रैनी चरन बहुराओ..,
पंथ कुपंथ मोहि न बूझे, चलेउ कहाँ अजहुँ न सूझे,
रबि सारथी नियराओ..,
धरिअ करतल प्रभा प्रसंगा उतरो हे देव रथ संगा..,
दिसि-बिदिसि अरुनाओ.....
दिसि -बिदिसि = दिशा व् दिशाओं के कोण
जगलग ज्योत जगाओ रे,
चहुँपुर निबिर अंधियार भयो अब रैनी चरन बहुराओ..,
पंथ कुपंथ मोहि न बूझे, चलेउ कहाँ अजहुँ न सूझे,
रबि सारथी नियराओ..,
धरिअ करतल प्रभा प्रसंगा उतरो हे देव रथ संगा..,
दिसि-बिदिसि अरुनाओ.....
दिसि -बिदिसि = दिशा व् दिशाओं के कोण
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