Monday, 21 May 2018

----- ॥ दोहा-पद 4॥ -----,

लागे मोही तुहरी दुनिया बिरानी,
नैनन के मोती बहि भए पानी पानी..,


ओ रे पिया ए रतन अमोलक, हाय ए मोल न जानी,
लागे मोही तुहरी दुनिया बिरानी,
नैनन के मोती बहि बहि भए पानी पानी..,

निसदिन करि ए कहि बतिया, गह गह गयउ बखानी
लागे मोही तुहरी दुनिया बिरानी
नैनन के मोती बहि बहि भए पानी पानी


कासे कहें कहँ जा सुनावैं, ए हमरी राम कहानी,
लागे मोही तुहरी दुनिया बिरानी,
नैनन के मोती बहि बहि भए पानी पानी..,

हम सहुँ कहुँ परोसहु बैरि जनिहि न राम कि बानी,
लागे मोही तुहरी दुनिया बिरानी,
नैनन के मोती बहि बहि भए पानी पानी..,

अजहुँ त परबत परतस लागे, हिय करि पीर पिरानी,
लागे मोही तुहरी दुनिया बिरानी,
नैनन के मोती बहि बहि भए पानी पानी.....







2 comments:


  1. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 23मई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


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  2. खूबसूरत प्रस्तुति !! बहुत खूब ।

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