----- || राग-भैरवी ||-----
ओ री मोरी सजनी तुअ नैहर न जइहो |
न जइहो न जइहो तुअ नैहर न जइहो || १ ||
मैं सावन अरु तुम बन मेहा नेहु घन रस बरखइयो |
मैं पावस तुम घोर घटा री घेरि गगन गहरइयो || २ ||
मैं सागर सहुँ तुम सुर गंगा हरिदय बहि बहि अइयो |
पेम के एहि संगम तीरथ ए तीरथ नहि बिसरइयो || ३ ||
देइब चीठी फेरिहु दीठी जोहि बिरहि घन दइयो |
कमनिअ कंचन कमन कनीठी मोर कनि कने पइयो || ४ ||
कनक कली कर कानन करिके मोहि न कनखि लखइयो |
कंगन कलिइन लेइ बलइयाँ मोर कंठन खनकइयो || ५ ||
नैन झरोखे पलक पट देइ हिय गिह पिय पौढ़इयों |
रैन अँजोरे धरै अँजुरी प्रीत करि जोत जगइयो || ६ ||
ओ री मोरी सजनी तुअ नैहर न जइहो |
न जइहो न जइहो तुअ नैहर न जइहो || १ ||
मैं सावन अरु तुम बन मेहा नेहु घन रस बरखइयो |
मैं पावस तुम घोर घटा री घेरि गगन गहरइयो || २ ||
मैं सागर सहुँ तुम सुर गंगा हरिदय बहि बहि अइयो |
पेम के एहि संगम तीरथ ए तीरथ नहि बिसरइयो || ३ ||
देइब चीठी फेरिहु दीठी जोहि बिरहि घन दइयो |
कमनिअ कंचन कमन कनीठी मोर कनि कने पइयो || ४ ||
कनक कली कर कानन करिके मोहि न कनखि लखइयो |
कंगन कलिइन लेइ बलइयाँ मोर कंठन खनकइयो || ५ ||
नैन झरोखे पलक पट देइ हिय गिह पिय पौढ़इयों |
रैन अँजोरे धरै अँजुरी प्रीत करि जोत जगइयो || ६ ||
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