Tuesday, 22 May 2018

----- ॥ दोहा-पद 6॥ -----

बाबूजी मोहे नैहर लीजो बुलाए, 

नैन घटा घन बरसन लागै घिर घिर ज्यों सावन आए, 
पेम बिबस ठयऊ सनेहु रस जबु दोइ पलक जुड़ाए.., 

भेजि दियो करि ह्रदय कठोरे  काहु रे देस पराए, 
बैनन की ए बूंदि बिदौरि छन छन पग धुनि सुनाए..,


मैं तोरि बगियन केरि कलियन फुरि चुनि पुनि दए बिहाए,
ए री पवन ये मोरि चिठिया बाबुल कर दियो जाए..,


पिय नगरी महुँ सब कहुँ मंगल चारिहुँ पुर भए कुसलाए, 
सुक सारिका अहइँ सबु कैसे पिंजर जिन रखिअ पढ़ाए.....

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